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पति के फील्ड में रहने पर हर पल रहता है खौफ, लेकिन शहर की सुरक्षा पहले जरूरी

locationग्वालियरPublished: Apr 08, 2020 10:32:30 pm

Submitted by:

Mahesh Gupta

कर्मवीरों की पत्नियों ने कहा: 24 मार्च से अलग रूम में रह रहे हसबैंड

पति के फील्ड में रहने पर हर पल रहता है खौफ, लेकिन शहर की सुरक्षा पहले जरूरी

पति के फील्ड में रहने पर हर पल रहता है खौफ, लेकिन शहर की सुरक्षा पहले जरूरी

ग्वालियर.

आज हमारा देश कोरोना संक्रमण की चपेत में है। इससे निकलने का सबसे बेस्ट तरीका घर पर रहना है। यह तभी हो पा रहा है, जब जिम्मेदार ऑफिसर फील्ड में हैं। हर एक को घर में रहने की हिदायद दी जा रही है। रोड पर दिखते ही उन्हें घर लौटाया जा रहा है। जरूरतमंदों को खाना पहुंचाने का काम किया जा रहा है। इसमें हमारे पति की अहम भूमिका है। वह सुबह जब घर से निकलते हैं, तो अंदर से बहुत डर लगता है, लेकिन जब शहर के लोगों के बारे में सोचते हैं, तो डर दूर हो जाता है। क्योंकि शहर को कोरोना से बचाने के लिए हमारे पति को फील्ड में उतरना होगा। तभी हम कोरोना को देश से आउट कर सकेंगे।

15 दिन से सर की गोद में नहीं खेल पाईं बेटियां
एसपी नवनीत भसीन की वाइफ शुभांगी भसीन ने बताया कि इस समय सर का घर में रुकने का कोई शेड्यूल नहीं है। वह सुबह 7 बजे निकल जाते हैं। आने का कोई टाइम नहीं होता। फिरभी जब घर आते हैं। मैं उनके खाने में बेस्ट से बेस्ट देती हूं, जिसमें विटामिन सी जरूर शामिल करती हूं। सर ने अपने आपको 24 मार्च से ही अलग कमरे में सेप्रेट कर लिया था। 7 अप्रेल को केस पॉजिटिव मिलने पर वे मुझसे बोले कि मैं अपने आपको ऑफिस में ही शिफ्ट किए लेता हूं। लेकिन मैंने मना किया। क्योंकि मुझे उनके सेहत की चिंता है। मेरी बेटियां ध्रिति और विदुषी पिछले 15 दिन से सर की गोद में नहीं खेलीं। वह दूर से ही उनसे बात कर लेती हैं। कई बार बेटियां पापा से मिलने की जिद करती हैं, तब मैं उन्हें कभी पढ़ाई तो कभी अन्य एक्टिविटी में बिजी कर लेती हूं।

बीमारी में भी सर अपना कर्तव्य नहीं भूले
स्मार्ट सिटी सीईओ की वाइफ शालिनी तेजस्वी ने बताया कि मैंने शुरू से ही सर को देखा है कि वे उन्होंने अपने वर्क को 100 परसेंट दिया है। 24 मार्च को जब वे घर आए, तभी से मैंने उनका रूम सेप्रेट कर दिया था। वह पीछे वाले गेट से घर में एंट्री करते हैं। रोज उनका आना रात 12 के बाद ही होता है। तब मैं उनके लिए डिनर बनाती हूं। लंच ड्राइवर से भेजती हूं। एक दिन उनकी तबियत खराब हुई। डॉक्टर ने रेस्ट के लिए बोला, लेकिन वह तैयार हुए और फील्ड पर निकल गए। यह देखकर मुझे प्राउड फील हुआ। नवरात्र पर नौ दिन मैं हमेशा अपने परिवार की खुशी मां से मांगती थी, लेकिन इस बार मैंने अपना शहर और देश अमन, चैन मांगा। मेरे दो बच्चे सत्कृत और आर्ना पापा के पास नहीं जाते। वह दूर से ही बात कर लेते हैं। पापा से हर दिन वह यही पूछते हैं कि कोरोना कब जाएगा।

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