कोरोना संक्रमण काल में फेबिफ्लू की दवाइयों की खासी डिमांड रही थी। इन्हें बेचने के लिए मेडिकल दुकानदारों को डॉक्टर का पर्चा और मरीज की आइडी का रिकॉर्ड रखना पड़ता था। फेबिफ्लू का 800 एमजी की 18 गोलियों की किट 2560 रुपए एमआरपी और 400 एमजी की 17 गोलियों की किट 1224 रुपए एमआरपी की बताई जाती है। उस समय फुटकर कारोबारियों ने ये माल 18 फीसदी का मारजिन के साथ लिया था। वहीं ये दवाइयां 14 फीसदी एमआरपी पर वापस की जाती हैं।
दवाइयों के पैकेट पर कंपनी का बैच नंबर होता है। इस बैच नंबर के जरिए दवा दुकानदार का पता लग जाता है। कई थोक दवाई दुकानदार डबल बैच की दवाइयां देते हैं। ऐसे में थोक दुकानदार माल को वापस न लेते हुए यह कह देते हैं ये माल हमारे यहां का नहीं है।
मेरे पास फेबिफ्लू की 800 एमजी की 18 गोलियों की किट का 50 हजार रुपए का माल बचा हुआ है। जब इसे वापस करने के लिए कहा गया तो थोक दुकानदार वापस नहीं ले रहे हैं। ये दवाई दिसंबर माह में एक्सपायर हो जाएगी, ऐसे में मुझे बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा।
– देवेन्द्र कुमार गर्ग, फुटकर दवा कारोबारी
ये बात सही है कि थोक दवा कारोबारी माल को वापस नहीं ले रहे हैं, ऐसे में फुटकर दुकानदार को खासी परेशानी हो रही है। नियम के मुताबिक तो उन्हें दवाइयां जीएसटी काटकर वापस लेना चाहिए।
– अनिल जैन, सचिव, ग्वालियर रिटेल मेडिकल ऐसोसिएशन
हम दवाइयां वापस तो लेते हैं। फेबिफ्लू के मामले में पहले कंपनियों ने दवा वापस लेने से मना किया था। इसके लिए हमसे लिखित में लिया गया था। कोविड के चलते सीमित मात्रा में ही दवाइयां बन रही थीं। अब कंपनियों ने वापस लेने के लिए कह दिया है। फुटकर दुकानदारों के पास काफी माल बचा है, तो अब हम वापस ले रहे हैं। इस महीने के अंत तक वापस करना होगा।
– श्याम करीरा, थोक मेडिकल कारोबारी
हमें जीएसटी रिटर्न वापस भरना पड़ता है। वैसे तो दवाईयां तो वापस लेते हैं, पर उस समय कंपनियों ने कह दिया था कि वापस नहीं लेंगी। पर अब कुछ कंपनियों ने दवाइयां वापस लेना शुरू कर दिया है। अब कई कंपनियां ले रही हैं, तो हम भी वापस ले रहे हैं।
– सुरेश डावानी, थोक मेडिकल कारोबारी