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ग्वालियर

बड़ी खबर : प्रदेश में बेधडक़ बिक रहा है नकली दूध और पनीर, ऐसे करें पहचान

अंचल के कस्बों-गांवों में जमी हैं मिलावटी दूध, मावा की जड़ें, बेधडक़ सप्लाई होता है दूसरे जिलों और राज्यों में

ग्वालियरJul 26, 2019 / 06:38 pm

monu sahu

fake milk and paneer

Action on adulterated milk

ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल संभाग में नकली दूध,मावा, पनीर और घी का कारोबार बेधडक़ हो रहा है। ग्वालियर के साथ भिंड और मुरैना जिले में इसका सबसे ज्यादा गोरखधंधा चल रहा है। दोनों जिलों में लगभग एक हजार डेयरियां चल रही हैं, जिनमें ज्यादातर अवैध हैं। पत्रिका टीम द्वारा पड़ताल किए जाने पर सामने आया कि स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक यूरिया, शैंपू, रिफाइंड तेल व अन्य पदार्थों को मिलाकर बनाया जा रहा नकली दूध और मावा ग्वालियर, सहित आसपास के जिलों के साथ मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, जबलपुर के अलावा उत्तरप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, झारखंड और कोलकाता तक जा रहा है।
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केवल भिंड से ही प्रतिदिन लगभग पांच लाख लीटर और मुरैना से लगभग ढाई लाख लीटर दूध व हजारों किलो नकली मावा प्रतिदिन लग्जरी बसों से भेजा जा रहा है। यह नकली दूध और मावा ग्वालियर के बाजारों में भी बेधडक़ बेचा जा रहा है। लेकिन खाद्य विभाग द्वारा कोई बड़ी और ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से मिलावट का कारोबार करने वाले बेखौफ हैं। इन दिनों प्रदेश सरकार के सख्त होने के बाद कुछ स्थानों पर कार्रवाई की गई है, इससे कुछ असर तो दिखा है, लेकिन जो खौफ मिलावटियों में नजर आना चाहिए और कार्रवाई पर अंकुश लगना चाहिए वह अब भी नजर नहीं आ रहा है।
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स्टॉक नहीं, कुछ काउंटर में छिपाकर बेच रहे
ग्वालियर-चंबल संभाग नकली दूध, घी और मावे का बड़ा सेंटर है। इन दिनों सरकार इस पर सख्त हो गई है और लगातार कार्रवाई हो रही है, इससे मावा कारोबारियों में खलबली मची है। ज्यादातर मामला ठंडा होने तक मावा बेचने से बच रहे हैं। लेकिन अब भी चोरी छिपे कुछ दुकानदार 220 रुपए किलो में मावा बेच रहे हैं। मावा बनाने वाले बताते हैं कि एक किलो मावा बनाने के लिए कम से कम 4 किलो शुद्ध दूध चाहिए। दूध के दाम इन दिनों 50 से 60 रुपए किलो हैं, एक किलो मावा बनाने के लिए 240 रुपए का दूध लगेगा, इसलिए सवाल उठता है कि ये दुकानदार 220 रुपए किलो में मावा कैसे बेच रहे हैं। जबकि इसमें ईधन, मेहनत और मुनाफा भी शामिल होगा।
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पत्रिका ने इसकी पड़ताल करने के लिए लश्कर में मावे की खरीद फरोख्त के बड़े केन्द्र मोर बाजार में मावा तलाशा तो ज्यादातर दुकानदारों ने कहा कि स्टॉक खत्म है। इन दिनों ज्यादा माल नहीं आ रहा है, लेकिन मावा नहीं आने की वजह नहीं बताई। कुछ दुकानों पर जरूर मावा 220 रुपए किलो के दाम पर बिक रहा था, लेकिन पूरी निगरानी के साथ मावे की टोकरियां काउंटर के अंदर छिपाकर रखी गई थीं। कारोबारियों का दावा था कि मावा सौ फीसदी शुद्ध है, उसमें मिलावट का नामोनिशान नहीं है। जब उनसे कहा कि दूध 60 रुपए किलो है तो उससे बनने वाला मावा 220 रुपए किलो कैसे मिल रहा है, इसका वह जवाब नहीं दे पाए।
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शहर में इन इलाकों से आता मावा
जानकारों का कहना है कि शहर में सबसे ज्यादा मावा सैंया, आगरा मुरैना, भिंड के देहाती इलाकों से आता है। हर दिन एक दुकान पर 50 किलो से ज्यादा की खपत है। त्योहार के दिनों में बिक्री कई गुना ज्यादा होती है।
एसटीएफ संभालेगी मोर्चा
नकली घी, दूध और मावे के धंधे को कंट्रोल करना खाद्य विभाग कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता है। इसलिए एसटीएफ ये धंधा करने वालों पर नकेल कसेगी। खाद्य विभाग की लचीली कार्रवाई से ज्यादातर नकली घी, दूध बनाने वाले कुछ समय के लिए अंडरग्राउंड हो गए हैं। माहौल ठंडा पडऩे पर फिर कारोबार शुरू होगा।
हथेली पर गिरे तो छाले पड़ जाएं
नकली दूध के इस्तेमाल होने वाला काला केमिकल इतना हार्ड होता है कि सीधे हथेली पर गिर जाए तो छाले पड़ जाएंगे। यह नकली दूध को सामान्य दूध की तरह कर देता है। यूरिया आदि सभी पदार्थों की गंध को दबा देता है।
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पहचान करना नहीं आता
एक दुकानदार ने बताया कि ग्राहक सिर्फ भरोसे पर खरीद करता है। मावा असली है या मिलावटी उसकी पहचान करना लोगों को नहीं आता। कुछ ग्राहक देसी तरीकों से मावे की असलियत पहचानने की कोशिश करते हैं, लेकिन सिंथेटिक मावे की पहचान के सारे देसी तजुर्बे बेअसर हैं।

नकली घी : एक किलो नकली क्रीम में 400 ग्राम घी निकलेगा, इसे बेहतर करने के लिए दही मिलाया जाएगा और मात्रा बढ़ाने के लिए रिफाइंड और सेंट मिलाते हैं, जिससे वजन बढ़ जाता है।
सिर्फ रिफाइंड के उपयोग से भी नकली घी बन रहा है। इसमें सेंट मिलाया जाता है। इसके साथ ही इसमें एक अन्य केमिकल मिलाया जाता है, जिससे यह घी की तरह जम जाता है।
मावा : एक किलो शुद्ध दूध में 100 ग्राम क्रीम और अधिकतम 200 ग्राम मावा निकलता है।
एक किलो नकली दूध में 125 से 150 ग्राम क्रीम, 300 ग्राम के आसपास मावा निकलता है, नकली होता है। ज्यादा रिफाइंड मिला होने पर 350 ग्राम तक हो सकती है।
दही : एक किलो शुद्ध दूध से लगभग 900 ग्राम दही बन जाता है। नकली दूध का दही नहीं जमता, दही जमाने के लिए इसमें दूध पाउडर मिलाना पड़ता है।

पनीर : एक किलो शुद्ध दूध से 200 ग्राम पनीर बनेगा।एक किलो नकली दूध से बमुश्किल 50 ग्राम पनीर बन पाएगा, दूध पाउडर मिलाने पर भी पनीर नहीं बनेगा। अगर बनाएंगे तो यह गंध छोड़ देगा।
ऐसे करें पहचान

छोटे शहरों में लैब नहीं होने से रिपोर्ट आने में लगते हैं कई महीने
मिलावट की पहचान करने के लिए छोटे शहरों और कस्बों में जांच लैब नहीं है, न ही जरूरी संसाधन हैं। यदि टीम मिलावटी खाद्य पदार्थ पकड़ती है तो अन्य राज्यों में जांच के लिए भेजा जाता है। इसकी रिपोर्ट आने में कई महीने लग जाते हैं। इससे कोई व्यक्ति मिलावट की शिकायत ही नहीं कर पाता। शिकायत से जांच तथा उसके बाद सजा होने तक की प्रक्रिया काफी लंबी है, इस कारण लोग आवाज उठाने से हिचकते हैं।
डॉ. धनश्याम दास, बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ
बच्चों के शरीर पर मिलावट का सबसे ज्यादा असर आता है। मिलावटी खानपान से बच्चों को पेट, स्कीन, त्वचा के साथ तरह-तरह की एलर्जी हो सकती है। बच्चों की लेट्रीन में खून भी आने लगता है। जिससे गुर्दे और लिवर भी बच्चों का खराब हो सकता है। इसके चलते बच्चे कम ही स्वस्थ्य रहते है और उनकी ग्रोथ भी रुक जाती है।

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