– महिलाओं से संबधित किस तरह के मामले ज्यादा आ रहे हैं?
– सबसे ज्यादा मामले पारिवारिक झगड़े के होते हैं, जिसमें सास-बहू, पति-पत्नी और नंद-भाभी का झगड़ा होता है। इसके अलावा महिलाओं का मोबाइल पर ज्यादा देर तक मायके वालों से बात करना भी झगड़े की जड़ होती है।
– सबसे ज्यादा मामले पारिवारिक झगड़े के होते हैं, जिसमें सास-बहू, पति-पत्नी और नंद-भाभी का झगड़ा होता है। इसके अलावा महिलाओं का मोबाइल पर ज्यादा देर तक मायके वालों से बात करना भी झगड़े की जड़ होती है।
– आप किस तरह दोनों पक्षों को समझा पाती हैं?
– पहले दोनों पक्षों को एक साथ बैठाकर उनकी बात सुनते हैं, फिर दोनों पक्षों से अलग-अलग पूछते हैं। जैसे सास-बहू का झगड़ा है तो बहू को बुलाकर समझाते हैं कि सास तो तुम्हारी बहुत बढ़ाई कर रही हैं। फिर सास को भी इसी तरह समझाते हैं कि बहू तो बहुत तारीफ करती है। कुछ लोगों को उनकी बात समझ में आती है तो एक साथ हंसी खुशी घर जाते हैं। कुछ को मुश्किल होती है, तो उन्हें अगली तारीख पर बुलाते हैं।
– पहले दोनों पक्षों को एक साथ बैठाकर उनकी बात सुनते हैं, फिर दोनों पक्षों से अलग-अलग पूछते हैं। जैसे सास-बहू का झगड़ा है तो बहू को बुलाकर समझाते हैं कि सास तो तुम्हारी बहुत बढ़ाई कर रही हैं। फिर सास को भी इसी तरह समझाते हैं कि बहू तो बहुत तारीफ करती है। कुछ लोगों को उनकी बात समझ में आती है तो एक साथ हंसी खुशी घर जाते हैं। कुछ को मुश्किल होती है, तो उन्हें अगली तारीख पर बुलाते हैं।
– अभी तक कितने परिवारों को टूटने से बचा चुकी हैं?
– मैं वर्ष 2015 से इस काम में जुटी हुई हूं। एसपी ऑफिस के अलावा कोर्ट में भी पीएलबी का काम करती हूं। मैं और मेरी टीम अब तक करीब 900 परिवारों को टूटने से बचा चुके हैं। आगे भी प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा परिवारों को टूटने से बचाया जा सके।
– मैं वर्ष 2015 से इस काम में जुटी हुई हूं। एसपी ऑफिस के अलावा कोर्ट में भी पीएलबी का काम करती हूं। मैं और मेरी टीम अब तक करीब 900 परिवारों को टूटने से बचा चुके हैं। आगे भी प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा परिवारों को टूटने से बचाया जा सके।
– महिलाओं को क्या सीख देना चाहेंगी?
– मेरा मानना है कि आप अपने परिवार को समझें, छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा न करें। दूसरों की बातों में आकर झगड़ें नहीं। स्वयं के विवेक से काम लें। मायके वालों को भी चाहिए कि वह बेटी की ससुराल में ज्यादा हस्तक्षेप न करें।
– मेरा मानना है कि आप अपने परिवार को समझें, छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा न करें। दूसरों की बातों में आकर झगड़ें नहीं। स्वयं के विवेक से काम लें। मायके वालों को भी चाहिए कि वह बेटी की ससुराल में ज्यादा हस्तक्षेप न करें।