scriptअदालत के आदेश के बाद भी पिता ने छीना बेटी का हक | Father Did not Give share to his daughter After Ordering Court | Patrika News

अदालत के आदेश के बाद भी पिता ने छीना बेटी का हक

locationग्वालियरPublished: Oct 02, 2015 09:28:00 pm

एक बेटी ने पैतृक संपत्ति में अपना हक पाने के लिए अदालत में लड़ाई लड़ी, जिसमें उसे आधी सफलता भी मिली। अदालत के आदेश क बाद भी उसके भाई व पिता उसे उसका हिस्सा नही दे रहे हैं।

Daughter Struggling For her Rights

Daughter Struggling For her Rights

ग्वालियर। एक बेटी ने पैतृक संपत्ति में अपना हक पाने के लिए अदालत में लड़ाई लड़ी, जिसमें उसे आधी सफलता भी मिली। अदालत ने उसके पिता और भाईयों को बेटी का वैधानिक हक दिए बिना पैतृक संपत्ति बेचे जाने पर रोक तो लगा दी, लेकिन रोक के बावजूद पिता पुत्रों ने संपत्ति का एक हिस्सा बेच दिया।

यह तब हुआ जब कलेक्टर ने भी इस मामले में न्यायालय के आदेश पर उप पंजीयक को विवादित संपत्ति के क्रय पर रोक लगाए जाने के आदेश जारी किए थे। अब उस बेटी ने अदालत में अवमानना का मामला पेश किया है।

ये मामला है गीता निबोरिया का जिसे न पिता का सहारा मिला और न पति उसकी मदद कर रहा है। गीता ने व्यवहार न्यायालय में एक वाद प्रस्तुत करते हुए पैतृक संपत्ति से 1/5 हिस्से की मांग की। यह दावा पिता और भाइयों के खिलाफ किया गया। दावे में 10,800 रुपए कोर्ट फीस भी लगना थी, लेकिन गीता के निर्धन होने के कारण जांच के बाद अदालत ने उसकी फीस माफ कर दी। 

अदालत ने इस मामले में पिता और भाईयों को न्यू विवेक नगर गली नंबर २ स्थित संपत्ति को बेचने पर रोक लगा दी। व्यवहार न्यायालय द्वारा दिए गए इस आदेश की जानकारी गीता ने कलेक्टर को दी इस पर कलेक्टर ने कार्यालयीन आदेश जारी करते हुए उप पंजीयक को 25 जनवरी 2014 को उक्त संपत्ति की रजिस्ट्री नहीं किए जाने के निर्देश दिए। गीता ने आदेश की प्रति उपपंजीयक कार्यालय में भी प्रस्तुत की। इसके बावजूद उप पंजीयक ने वादग्रस्त भवन के एक भाग की रजिस्ट्री कर दी।

अवमानना याचिका पेश

पिता एवं भाइयों द्वारा 25 जून 2015 को संपत्ति बेचे जाने पर गीता ने न्यायालय में पिता रामलखन भाई रामचित्र, खरीददार द्वारका जाटव और उप पंजीयक को पार्टी बनाते हुए अवमानना याचिका प्रस्तुत की है। इस मामले में अदालत ने प्रतिवादीगण को नोटिस जारी कर दिए हैं।


विधिक सहायता से मिला सहारा

गीता को अपनी लड़ाई लडऩे के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिए अभिभाषक मिला हुआ है। उसकी मासिक आय 600 रुपए है। गीता के अभिभाषक अरुण सिंह सिंघल ने बताया कि इस मामले में एक आवेदन और पेश किया गया है, जिसमें स्थगन की स्थिति बहाल होने तक प्रतिवादी को सिविल कारागार भेजे जाने की मांग की गई है। इस आवेदन में यहां चल रहे निर्माण को रुकवाए जाने का निवेदन भी किया गया है। 
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