न्यायमूर्ति आनंद पाठक ने यह आदेश नाबालिग बालक के पिता के आवेदन को स्वीकार करते हुए दिए हैं। बालक के पिता ने न्यायालय में याचिका प्रस्तुत करते हुए कहा कि उसका बेटा मूक बधिर है तथा 2 मार्च 19 से सुधारगृह में है। सुधारगृह के अधिकारी की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जिसमें कहा गया कि सुधार गृह में बच्चे का व्यवहार शांतिपूर्ण और संतुलित है। यदि उसे छोड़ा जाता है तो वह मुख्य धारा में आकर एक अच्छा नागरिक बनने की कोशिश करेगा।
आवेदन में कहा गया कि बच्चे के अच्छे भविष्य के लिए वह उसे कौशल प्रबंध का प्रशिक्षण कराने के लिए तैयार है जिससे कि वह अपने दम पर खड़ा हो सकता है और अपने परिवार के लिए कुछ कर सकता है। पिता ने कहा कि वह बच्चे की देखभाल के लिए तैयार है।
न्यायालय ने पिता के आवेदन को स्वीकार करते हुए उसे व्यक्तिगत बांड प्रस्तुत करने पर बच्चे को रिहा करने के आदेश दिए। इसमें शर्त लगाई गई है कि आरोपी बालक जिस प्रकरण में उसे सुधारगृह में भेजा गया है उससे जुड़े पक्ष को धमकी नहीं देगा। न्यायालय ने पिता को स्वतंत्रता दी है कि वह कलेक्टर के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत करे और कलेक्टर उसके आवेदन का निराकरण करेंगे। इसके लिए आदेश की प्रति कलेक्टर को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
कलेक्टर बच्चे की रुचि अनुसार कौशल प्रबंधन की व्यवस्था करेंगे जिससे कि उसका शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक विकास हो सकेगा और वह खुद को रचनात्मक गतिविधियों में शामिल कर सकेगा। बालक के पिता ने यह याचिका अपर जिला न्यायाधीश द्वारा जमानत आवेदन खारिज किए जाने पर प्रस्तुत की थी। इससे पहले किशार न्याय बोर्ड ने भी बालक को रिहा करने के आवेदन को खारिज कर दिया था।