पेड़ों की शाखाओं से बने हैं दो ब्रिज
इसके बाद हम शिलांग होते हुए चेरापूंजी पहुंचे। यहां एलीफेंट केव और एलीफेंट झील का नजारा दिल को छू गए। यहां रात स्टे किया। यहां हमने दो पुल देखे, जो पेड़ों की शाखाओं से नेचुरल बने थे। इन ब्रिज में चलने पर डर लग रहा था। पहला सिंगल डेकर ब्रिज 2500 सीढिय़ां उतरकर था और दूसरा डबल डेकर ब्रिज 6000 सीढिय़ा उतरकर। नीचे एक छोटी सी झील थी, जिसमें क्रिस्टल वाटर था। यहां हमने मछलियों से पेडिक्योर भी कराया। उस दौरान हमें भुकंप की अनुभूति हुई। गाइड ने कहा कि अब यहां रुकना ठीक नहीं और हम लोग वहां से निकल आए। उस समय हमने वहां कई फॉरेनर देखे, जो प्रकृति का आनंद लेने के लिए वहां लकड़ी के मकान बनाकर रह रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें अब भुकंप से डर नहीं लगता।
इसके बाद हम शिलांग होते हुए चेरापूंजी पहुंचे। यहां एलीफेंट केव और एलीफेंट झील का नजारा दिल को छू गए। यहां रात स्टे किया। यहां हमने दो पुल देखे, जो पेड़ों की शाखाओं से नेचुरल बने थे। इन ब्रिज में चलने पर डर लग रहा था। पहला सिंगल डेकर ब्रिज 2500 सीढिय़ां उतरकर था और दूसरा डबल डेकर ब्रिज 6000 सीढिय़ा उतरकर। नीचे एक छोटी सी झील थी, जिसमें क्रिस्टल वाटर था। यहां हमने मछलियों से पेडिक्योर भी कराया। उस दौरान हमें भुकंप की अनुभूति हुई। गाइड ने कहा कि अब यहां रुकना ठीक नहीं और हम लोग वहां से निकल आए। उस समय हमने वहां कई फॉरेनर देखे, जो प्रकृति का आनंद लेने के लिए वहां लकड़ी के मकान बनाकर रह रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें अब भुकंप से डर नहीं लगता।
ओपन जीप से घूमा पार्क, पहली बार नजदीक से गेंडे
चेरापूंजी से निकलकर हम बांग्लादेश बॉर्डर डौकी नदी पहुंचे। इसकी विशेषता यह है कि नाव में सफर करने पर तली का पत्थर भी साफ दिखाई देता है। हमने वहां उबले बेर खाए। अगले दिन गुवाहाटी पहुंचे। वहां कांजीरंगा नेशनल पार्क दो ओपन जीप से घूमा। हमने खूब सारे गेंडे देखे। लोटने के बाद गुवाहाटी में माता के दर्शन किए। लोकल मार्केट घूमा और वापस ग्वालियर आ गए।
हेमंत अग्रवाल, बिजनेसमैन ग्वालियर
चेरापूंजी से निकलकर हम बांग्लादेश बॉर्डर डौकी नदी पहुंचे। इसकी विशेषता यह है कि नाव में सफर करने पर तली का पत्थर भी साफ दिखाई देता है। हमने वहां उबले बेर खाए। अगले दिन गुवाहाटी पहुंचे। वहां कांजीरंगा नेशनल पार्क दो ओपन जीप से घूमा। हमने खूब सारे गेंडे देखे। लोटने के बाद गुवाहाटी में माता के दर्शन किए। लोकल मार्केट घूमा और वापस ग्वालियर आ गए।
हेमंत अग्रवाल, बिजनेसमैन ग्वालियर