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भुकंप से डरकर हम भागे, फॉरेनर बोले-अब हमें डर नहीं लगता

locationग्वालियरPublished: Jan 16, 2022 01:07:19 pm

Submitted by:

Mahesh Gupta

प्रकृति के नजदीक है मेघालय, 11 दिन के ट्रिप का सुखद एहसास

भुकंप से डरकर हम भागे, फॉरेनर बोले-अब हमें डर नहीं लगता

भुकंप से डरकर हम भागे, फॉरेनर बोले-अब हमें डर नहीं लगता

ग्वालियर.

यदि आप प्रकृति को नजदीक से देखने की चाह रखते हैं तो आपके लिए नॉर्थ ईस्ट बेस्ट ऑप्शन है। मैंने भी अपने परिवार और रिलेटिव्स के साथ वहां जाकर प्रकृति के बीच समय बिताया। हमने मेघालय का टूर प्लान किया। हम बच्चों सहित कुल 11 लोगे थे और हमारी ट्रिप भी 11 दिन की थी। इसके पहले हम झारखंड में शिखरजी गए। यह जैनियों का तीर्थस्थल है। यह आध्यात्मिक और धार्मिक रूप से प्रसिद्ध है। शिखरजी पहाड़ों पर बना है। यहां 13 स्थल हैं, जो अलग-अलग हाइट पर बने हैं। यहां तक पहुंचने के लिए पैदल या फिर पि_ू माध्यम हैं। हम वहां पैदल ही गए और दर्शन किए। यहां हमे दो दिन लगे।
पेड़ों की शाखाओं से बने हैं दो ब्रिज
इसके बाद हम शिलांग होते हुए चेरापूंजी पहुंचे। यहां एलीफेंट केव और एलीफेंट झील का नजारा दिल को छू गए। यहां रात स्टे किया। यहां हमने दो पुल देखे, जो पेड़ों की शाखाओं से नेचुरल बने थे। इन ब्रिज में चलने पर डर लग रहा था। पहला सिंगल डेकर ब्रिज 2500 सीढिय़ां उतरकर था और दूसरा डबल डेकर ब्रिज 6000 सीढिय़ा उतरकर। नीचे एक छोटी सी झील थी, जिसमें क्रिस्टल वाटर था। यहां हमने मछलियों से पेडिक्योर भी कराया। उस दौरान हमें भुकंप की अनुभूति हुई। गाइड ने कहा कि अब यहां रुकना ठीक नहीं और हम लोग वहां से निकल आए। उस समय हमने वहां कई फॉरेनर देखे, जो प्रकृति का आनंद लेने के लिए वहां लकड़ी के मकान बनाकर रह रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें अब भुकंप से डर नहीं लगता।
ओपन जीप से घूमा पार्क, पहली बार नजदीक से गेंडे
चेरापूंजी से निकलकर हम बांग्लादेश बॉर्डर डौकी नदी पहुंचे। इसकी विशेषता यह है कि नाव में सफर करने पर तली का पत्थर भी साफ दिखाई देता है। हमने वहां उबले बेर खाए। अगले दिन गुवाहाटी पहुंचे। वहां कांजीरंगा नेशनल पार्क दो ओपन जीप से घूमा। हमने खूब सारे गेंडे देखे। लोटने के बाद गुवाहाटी में माता के दर्शन किए। लोकल मार्केट घूमा और वापस ग्वालियर आ गए।
हेमंत अग्रवाल, बिजनेसमैन ग्वालियर
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