वैक्सीन का हवाला
पुलिसकर्मी कहते हैं कि कोरोना वही है, बल्कि पिछली बार की तुलना में ज्यादा तेज है, लेकिन इस बार फोर्स के लिए सुरक्षा के इंतजाम कुछ नहीं हैं। अनुशासन की वजह से अफसरों से इस बारे में पूछ नहीं सकते। इधर उधर से समस्या को ऊपर तक पहुंचाया भी गया तो जवाब मिलता है कि फोर्स का वैक्सीनेशन हो चुका है अब चिंता की बात नहीं है, जबकि वैक्सीनेशन के बाद भी मास्क, सैनेटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन गाइडलाइन में ही जरूरी बताया गया है।
पुलिसकर्मी कहते हैं कि कोरोना वही है, बल्कि पिछली बार की तुलना में ज्यादा तेज है, लेकिन इस बार फोर्स के लिए सुरक्षा के इंतजाम कुछ नहीं हैं। अनुशासन की वजह से अफसरों से इस बारे में पूछ नहीं सकते। इधर उधर से समस्या को ऊपर तक पहुंचाया भी गया तो जवाब मिलता है कि फोर्स का वैक्सीनेशन हो चुका है अब चिंता की बात नहीं है, जबकि वैक्सीनेशन के बाद भी मास्क, सैनेटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन गाइडलाइन में ही जरूरी बताया गया है।
पहले फेज से कम हुए सुरक्षा इंतजाम
– कोरोना के पहले फेज में फ्रंट लाइन पर पुलिस को काम करने के लिए गर्म पानी, मास्क, सेनेटाइजर के अलावा थाना परिसर में बाहरी लोगों की आवाजाही पर पर पाबंदी लगाई थी। पुलिस लाइन का वाहन हर दिन थानों में आकर सैनेटाइजेशन के लिए तैनात किया गया था। यह कसावट शहर में कोरोना के 50 से भी कम मरीज सामने आने पर शुरू की गई थी।
– जबकि दूसरे फेज मेंं संक्रमितों का आंकड़ा 100 को पार करने के बाद भी पुलिसकर्मियों को मास्क, सैनेटाइजर नहीं मुहैया कराए गए हैं। करीब 7 महीनों से थानों का सैनेटाइजेशन बंद।
– अपराधियों की घेराबंदी, कोरोना संक्रमित इलाकों में ड्यूटी के लिए पुलिसकर्मियों के लिए पीपीई किट मुहैया कराई गई थीं। कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 100 के पार गुजरने बिना सुरक्षा इंतजाम के अपराधियों की पकड़ धकड़ पर भी अंकुश लगाया गया था। दूसरे फेज में इसकी भी अनदेखी।
– फेज वन में शिकायती आवदेनों की भी थानों के अंदर एंट्री बंद हो गई थी, थाने के मेनगेट या बाहरी परिसर में शिकायत बाक्स में आवेदन रखवाने का इंतजाम हुआ, दूसरे दौर में कोई रुकावट नहीं ।
– कोरोना के पहले फेज में फ्रंट लाइन पर पुलिस को काम करने के लिए गर्म पानी, मास्क, सेनेटाइजर के अलावा थाना परिसर में बाहरी लोगों की आवाजाही पर पर पाबंदी लगाई थी। पुलिस लाइन का वाहन हर दिन थानों में आकर सैनेटाइजेशन के लिए तैनात किया गया था। यह कसावट शहर में कोरोना के 50 से भी कम मरीज सामने आने पर शुरू की गई थी।
– जबकि दूसरे फेज मेंं संक्रमितों का आंकड़ा 100 को पार करने के बाद भी पुलिसकर्मियों को मास्क, सैनेटाइजर नहीं मुहैया कराए गए हैं। करीब 7 महीनों से थानों का सैनेटाइजेशन बंद।
– अपराधियों की घेराबंदी, कोरोना संक्रमित इलाकों में ड्यूटी के लिए पुलिसकर्मियों के लिए पीपीई किट मुहैया कराई गई थीं। कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 100 के पार गुजरने बिना सुरक्षा इंतजाम के अपराधियों की पकड़ धकड़ पर भी अंकुश लगाया गया था। दूसरे फेज में इसकी भी अनदेखी।
– फेज वन में शिकायती आवदेनों की भी थानों के अंदर एंट्री बंद हो गई थी, थाने के मेनगेट या बाहरी परिसर में शिकायत बाक्स में आवेदन रखवाने का इंतजाम हुआ, दूसरे दौर में कोई रुकावट नहीं ।
यहां सुरक्षा में अनदेखी
पुलिसकर्मी बिना मास्क लगाए सड़क, बाजार मेंं आने वालों को घेरकर चालानी कार्रवाई कर रहे हैं। लेकिन खुद इस सुरक्षा से बेपरवाह हैं। गुरुवार को पत्रिका ने मास्क को लेकर सुरक्षा का जायजा लिया तो दूसरों को कोरोना से बचाव के लिए मास्क जरूरी की समझाइश देने वाले तमाम पुलिसकर्मी ही इस सुरक्षा से बेपरवाह मिले, जबकि वैक्सीनेशन के बावजूद मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम को जरूरी बताया गया है।
पुलिसकर्मी बिना मास्क लगाए सड़क, बाजार मेंं आने वालों को घेरकर चालानी कार्रवाई कर रहे हैं। लेकिन खुद इस सुरक्षा से बेपरवाह हैं। गुरुवार को पत्रिका ने मास्क को लेकर सुरक्षा का जायजा लिया तो दूसरों को कोरोना से बचाव के लिए मास्क जरूरी की समझाइश देने वाले तमाम पुलिसकर्मी ही इस सुरक्षा से बेपरवाह मिले, जबकि वैक्सीनेशन के बावजूद मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम को जरूरी बताया गया है।