scriptनदी चढ़ते ही मुसीबत में आ जाते हैं पांच गांव | Five villages get into trouble as soon as they climb the river | Patrika News

नदी चढ़ते ही मुसीबत में आ जाते हैं पांच गांव

locationग्वालियरPublished: Sep 28, 2019 01:27:57 am

मुरैना की हद पर बसे पांच गांव में लोगों की रोजमर्रा की जरूरतें पूरी होने से अटक गई हैं बरसात में आसन नदी चढ़ गई है। ग्रामीण मजबूरी में ड्रम पर लकड़ी के फट्टे बांधकर बेहद जरूरी होने पर ही नदी पार कर रहे हैं।

नदी चढ़ते ही मुसीबत आ जाते हैं पांच गांव

नदी चढ़ते ही मुसीबत आ जाते हैं पांच गांव

ग्वालियर. मुरैना की हद पर बसे पांच गांव में लोगों की रोजमर्रा की जरूरतें पूरी होने से अटक गई हैं, दरअसल कहने को तो यह गांव ग्वालियर की हद में लेकिन इनमें रहने वालों का छोटी बड़ी जरूरतों को पूरा करने का जरिया पड़ोसी जिला मुरैना है। घर के राशन से लेकर हर छोटी बड़ी जरूरत के लिए यहां बसने वालों को आसन नदी पार कर मुरैना जाना पड़ता है।खितेड़ा गांव निवासी अंतराम गुर्जर का कहना है कि बरसात में आसन नदी चढ़ गई है। पगारा बांध लबालब है, इसलिए नदी से नाव खींच ली है। अब ड्रम पर लकड़ी के फट्टे बांधकर बेहद जरूरी होने पर ही नदी पार कर रहे हैं। क्योंकि ग्वालियर आने के लिए सडक़ नहीं है। जो रास्ता है वह पत्थरों से लबरेज है, उसमें पैदल चलना भी मुश्किल होता है।
इन दिनों बरसात की वजह से कच्चे और पत्थरीले रास्ते पर एक कदम भी नहीं रखा जा सकता है। दूसरी तरफ नदी उफान पर है तो इन पांच गांव की करीब ढाई हजार की आबादी नदी का पानी उतरने के इंतजार में है। अंतराम और उनके साथी गांव वाले कहते हैं कि जब चुनाव होता है तब गांव में नेता अधिकारी आते हैं, उनसे हर बार गांव वालों की एक मांग रहती है कि या तो ग्वालियर तक रास्ता बनवा दो या फिर आसन नदी पर पुल बना दिया जाए तो गांववालों को नदी पार करने के लिए जान जोखिम में नहीं डालना पड़े। हर बार भरोसा दिलाया जाता है कि इस बार पुल बन जाएगा या फिर सडक़ तैयार हो जाएगी। लेकिन चुनाव का नतीजा आने के बाद कोई नहीं सुनता। अब फिर नदी चढ़ी है गांववाले छोटी चीजों की जरूरत को भी पूरा करने के लिए पानी उतरने का इंतजार कर रहे हैं, जब नदी लेबल पर आएगी तब नाव चलेगी। अभी ड्रम के सहारे सिर्फ वही लोग नदी को पार कर रहे हैं जो तैरने में माहिर हैं।
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