प्रोजेक्ट का नाम भी मंदिर से मंदिर तक
प्रो. ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के पीछे मेरा उद्धेश्य यही है कि मंदिरों में चढऩे वाले फूलों को अनादर ना हो। इस प्रोजेक्ट का नाम भी मंदिर से मंदिर तक रखा गया है। साथ ही बाजार में ये धूपबत्ती नो प्रॉफिट नो लॉस पर उपलब्ध करा रहे हैं। 10 किलो गुलाब के फूल को सुखाकर उसके पाउडर से करीब 25 किलो धूपबत्ती तैयार की जा रही है।
यहां भी चल रहा प्राजेक्ट
इस तरह का प्रोजेक्ट ऋषिकेश में भी चल रहा है, जिसे वहां की नगर निगम सहयोग प्रदान कर रही है। उन्होंने आगे बताया कि इससे पूर्व हम केंचुआ खाद भी बना चुके हैं। सराफा बाजार निवासी बृजेश नागर ने बताया कि सर के निर्देशन में हम धूपबत्ती तैयार कर रहे हैं। वाकई इस प्रोजेक्ट से मंदिर के फूल खुशबू के रूप में लोगोंं के पास पहुंच रहे हैं। धूपबत्ती में गाय के गोबर सहित ग्वार गम और जड़ी-बूटियोंं को मिलाया जाता है।