लोक संगीत में स्वच्छंदत, शास्त्रीय संगीत नियमों से बंधा
अतिथि वक्ता प्रो. राजेश शाह ने कहा कि लोक संगीत एवं कलाएं शास्त्रीय संगीत एवं कलाओं का आधार हैं। लोक कलाओं का संवर्धित स्वरूप शाास्त्रीय संगीत है। लोक कलाएं भारतीय संस्कृति की संवाहक के साथ संवर्धक भी हैं। आपने कहा कि लोक संगीत में स्वच्छंदता है, जबकि शास्त्रीय संगीत नियमों से बंधा हुआ है।
अतिथि वक्ता प्रो. राजेश शाह ने कहा कि लोक संगीत एवं कलाएं शास्त्रीय संगीत एवं कलाओं का आधार हैं। लोक कलाओं का संवर्धित स्वरूप शाास्त्रीय संगीत है। लोक कलाएं भारतीय संस्कृति की संवाहक के साथ संवर्धक भी हैं। आपने कहा कि लोक संगीत में स्वच्छंदता है, जबकि शास्त्रीय संगीत नियमों से बंधा हुआ है।
राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करती है संस्कृति
अतिथि वक्ता बांसुरी वादक पं. चेतन जोशी ने कहा कि भारतीय संगीत अनुभव करने का विषय है। संस्कृति एवं कलाएं निरंतर प्रवाहमान हैं। संस्कृति राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। कलाओं द्वारा संस्कृति का ललित परिचय होता है। नवीन पीढ़ी में कला एवं संस्कृति के संवहन का माध्यम लोक कलाएं हैं।
अतिथि वक्ता बांसुरी वादक पं. चेतन जोशी ने कहा कि भारतीय संगीत अनुभव करने का विषय है। संस्कृति एवं कलाएं निरंतर प्रवाहमान हैं। संस्कृति राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। कलाओं द्वारा संस्कृति का ललित परिचय होता है। नवीन पीढ़ी में कला एवं संस्कृति के संवहन का माध्यम लोक कलाएं हैं।