न्यायालय ने कहा कि इस मामले में ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की जा रही है जिससे प्रकरण की ट्रायल प्रभावित हो। एडवोकेट सौरभ पाराशर द्वारा आवेदन का विरोध करते हुए कहा गया कि आरोपी ने जिस प्रकार से धोखाधड़ी की है उसे देखते हुए उसके आवेदन को खारिज किया जाए। एडवाकेट पाराशर का कहना था कि डॉ.भल्ला को अस्पताल के निर्माण के लिए लोन की जरूरत थी।
आरोपी भास्कर घोष ने अपनी ऊंची पहुंच का हवाला देते हुए उन्हें आश्वस्त किया कि वे लोन दिला देंगे। आरोपी ने कहा था कि वह अपने मित्रों के जरिए उन्हें लोन दिलाएंगे। इसके लिए दुबई जाने के लिए टिकट भी बुक किए गए थे, लेकिन बाद में आरोपी द्वारा बहाना बनाकर इसे रद्द कर दिया गया था। इसके लिए डॉ.भल्ला ने आरोपी को 8 लाख रुपए भी दिए, लेकिन वह मुकर गया और जो पैसे लिए थे, वह देने से इनकार कर दिया।
शिकायतकर्ता ने आरोपी से 8 लाख रुपए वापस लेने के लिए मेल पर तथा फोन पर भी कई बार कहा, लेकिन आरोपी ने कोई जवाब नहीं दिया था। डॉ.भल्ला की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ इंदरगंज थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था। भादसं की धारा 420 के इस मामले को खारिज करने के लिए आरोपी द्वारा आवेदन उच्च न्यायालय में पेश किया गया था।