ये बहुत कम लोग जानते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनके करीबी बापजी कहकर बुलाते थे. बापजी ब'चों में ब'चे थे और गंभीर विषयों पर सटीक राय रखनेवाले विचारक
यदि व्यक्ति का व्यक्तित्व सौम्य है तो वो कवि हृदय का है। उसे कविताएं पसंद हैं तो अटल जी में उसे एक शानदार कवि दिखेगा। एक ऐसा कवि जो उसे बताएगा कि कैसे उसे जीवन की बाधाओं को पार करना है। याद रहे अटल जी ने ऐसे लोगों को नित नए गीत गाने के लिए प्रेरित करते हुए अपने द्वारा कई कविता लिखी।
अटल बिहारी वाजपेयी के स्वाभव, अदभुत व्यक्तित्व, संगठन के प्रति समर्पण,अनुसाशन और उनकी शख्सियत सहित तमाम वो चीजें नजर आती है। जो उन्हें सच में ही अटल कहलाने के योग्य बनाती है।
अटल बिहारी वाजपेयी जीवित होते तो 95 साल के हो गए होते. हालांकि वे अब नहीं हैं, लेकिन उनकी मौजूदगी भारतीय राजनीति में हमेशा रहेगी। 16 अगस्त, 2018 को वाजपेयी का निधन हो गया था। उनके गुजरने के कुछ महीने बाद अब उनके जन्मदिन को भारतीय जनता पार्टी व्यापक तौर पर मना रही है।
बतौर राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी हर मुमकिन ऊंचाई तक पहुंचे, वे प्रधानमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा करने वाले पहले ग़ैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे।
वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे, पहले 13 दिन तक, फिर 13 महीने तक और उसके बाद 1999 से 2004 तक का कार्यकाल उन्होंने पूरा किया।
अटल बिहारी वाजपेयी ने ऐसे कई बड़े फ़ैसले लिए जिसने भारत की राजनीति को हमेशा के लिए बदल दिया था। ये वाजपेयी की कुशलता ही कही जाएगी कि उन्होंने एक तरह से दक्षिणपंथ की राजनीति को भारतीय जनमानस में इस तरह रचा बसा दिया।
ग्वालियर से अटल जी का काफी लगाव रहा है। अटल जी की जयंती पर आज मेडिकल कॉलेज के सभागार में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के कलाकार विपिन कुमार द्वारा अटलजी के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन किया जाएगा।
ग्वालियर में जन्मे अटलजी ने विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक करने के बाद उत्तरप्रदेश के कानपुर शहर से डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एमए किया था।