5 वर्ष तक डिस्क्वालिफाई रहेंगे डायरेक्टर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी की ओर से डिस्क्वालिफाई किए गए कंपनियों के डायरेक्टर्स को 1 नवंबर 2016 से 31 अक्टूबर 2021 तक यानी पांच वर्ष के लिए डिस्क्वालिफाई कर दिया गया है। कंपनी कानून की धारा 164 (2) के तहत यह कार्रवाई हुई है। इसमें कोई कंपनी यदि सालाना तीन साल तक फाइनेंशियल स्टेटमेंट या सालाना रिपोर्ट नहीं जमा करती है तो उसके डायरेक्टर उस कंपनी या किसी दूसरी कंपनी में पांच साल तक डायरेक्टर नहीं बन सकते।
ऐसे सभी डायरेक्टरों का बैकग्राउंड और कंपनी के कामकाज में उनकी भूमिका की तहकीकात की जा रही है। इसके साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि इन कंपनियों के जरिए मनीलॉन्ड्रिंग हुई है या नहीं। इसके बाद आगे की ओर कार्रवाई भी की जा सकती है। शैल कंपनी से जुड़े सीए, कंपनी सेके्रटरी और कॉस्ट अकाउंटेंट्स की भी पहचान की गई है।
ये होती हैं शैल कंपनी शैल या डमी कंपनी सामान्य तौर पर वह होती हैं जो कागजों पर तो कारोबार दर्शाती हैं, लेकिन वास्तव में उनका कोई व्यापार नहीं होता है। इन कंपनियों के मार्फत मूल रूप से कालेधन को सफेद किया जाता है। सरकार को आशंका है कि इन कंपनियों के माध्यम से नोटबंदी के दौरान कालेधन को सफेद किया गया था। ये कंपनियां पिछले कई वर्षों से अपने बिजनेस की जानकारियां नहीं दे रही थीं। इनके डायरेक्टरों द्वारा कंपनी के खातों से पैसे निकालने पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
प्रतिबंध लगाया है
शैल कंपनी के संदेह में कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय के निर्देश पर प्रदेश में भी 4676 कंपनियों को डिफाल्टर और 9628 डायरेक्टर को डिस्क्वालिफाई घोषित किया गया है। अब इन डायरेक्टर्स पर पांच वर्ष तक प्रतिबंध रहेगा।
हरिहर साहू, उप कंपनी रजिस्ट्रार, रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी, मप्र