मैं, वाइफ ग्वालियर और मां थी दिल्ली में एडमिट
कपिल ने बताया कि सितंबर 2020 की बात है। पहले मैं इन्फेक्टेड हुआ। मुझसे वाइफ हो गईं। हम दोनों निजी हॉस्पिटल में भर्ती हो गए। तीन दिन बाद ही मां भी संक्रमित निकली। उनकी हालत बिगडऩे लगी। मैं तो हॉस्पिटल से निकल नहीं सकता था। पापा ने उन्हें ग्वालियर दिखाया। डॉक्टर ने दिल्ली के लिए रेफर कर दिया। मैंने दोस्त से बात कर बेड का अरेंजमेंट किया। वे 11 दिन वहां भर्ती रहीं। पापा ने उनकी पूरी केयर की।
कपिल ने बताया कि सितंबर 2020 की बात है। पहले मैं इन्फेक्टेड हुआ। मुझसे वाइफ हो गईं। हम दोनों निजी हॉस्पिटल में भर्ती हो गए। तीन दिन बाद ही मां भी संक्रमित निकली। उनकी हालत बिगडऩे लगी। मैं तो हॉस्पिटल से निकल नहीं सकता था। पापा ने उन्हें ग्वालियर दिखाया। डॉक्टर ने दिल्ली के लिए रेफर कर दिया। मैंने दोस्त से बात कर बेड का अरेंजमेंट किया। वे 11 दिन वहां भर्ती रहीं। पापा ने उनकी पूरी केयर की।
मां का बार-बार घट बढ़ रहा था ऑक्सीजन लेवल
वह दौर बहुत बुरा था। मम्मी को पापा एंबुलेंस से दिल्ली लेकर गए। वहां भर्ती कराने के बाद उनका ऑक्सीजन लेवल बार-बार घट बढ़ रहा था। पापा मम्मी के पास भी नहीं जा पा रहे थे। क्योंकि एलाऊ नहीं था। मैं किसी तरह मम्मी से डॉक्टर की मदद से बात कर लेता। उन्हें दिलाशा दिलाता। 11 दिन रहकर आखिर वे ठीक हुईं।
वह दौर बहुत बुरा था। मम्मी को पापा एंबुलेंस से दिल्ली लेकर गए। वहां भर्ती कराने के बाद उनका ऑक्सीजन लेवल बार-बार घट बढ़ रहा था। पापा मम्मी के पास भी नहीं जा पा रहे थे। क्योंकि एलाऊ नहीं था। मैं किसी तरह मम्मी से डॉक्टर की मदद से बात कर लेता। उन्हें दिलाशा दिलाता। 11 दिन रहकर आखिर वे ठीक हुईं।