विलुप्त बीज कर रहे संरक्षित
विलुप्त हो रहे भारतीय बीजों में शामिल गेहूं की किस्मों में खपली, बंशी, कठिया, फूलों की किस्मों में गुलाब, गुड़हल, गेंदा, गिल्हैटी, औषधीय पौधों में विधारा, गिलोय, पुत्रजीवा, हरड़, बहेड़ा, आंवला, तुलसी, लटजीरा, अजुन सहित अन्य पौधों को संरक्षित किया है। धान की किस्मों में काला जीरा, जीराशंकर, बासमती की सभी किस्में संरक्षित की हैं।
असफ लता के बाद मिला लक्ष्य
– देहरादून की निवासी इंदु पचौरी ने केदारनाथ आपदा के बाद उत्तराखंड के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया।
– जिले के गुठीना गांव में किराए की जमीन पर खेती शुरू की। लॉकडाउन की वजह से यह प्रोजेक्ट फेल हो गया।
– समचौली गांव में अपने ससुर से जमीन लेकर खेती की और अब सफलता मिल रही है।
– मशरूम की बटन, ऑस्टर, गेनोडरमा, मिल्की और सटाके किस्मों का उत्पादन हो रहा है।
– बीते वर्ष 4 टन मशरूम हुआ और इस वर्ष एक क्विंटल हर दूसरे दिन उत्पादन।
यह है प्रोफइल
– 48 वर्षीय इंदु पचौरी ने एमए, एमफिल, एमएड किया है।
– 50 वर्षीय ओमबाबू शर्मा ने बीएससी, एमए, एमफिल, एमबीए और एमएएसडब्ल्यू करने के बाद विभिन्न कंपनियों में वरिष्ठ पद पर काम किया और बीते वर्ष रीजनल मैनेजर के पद से रिजाइन करके पत्नी के काम को आगे बढ़ाने में लग गए।