हालांकि इसे शुक्रवार को दोपहर 3 बजे होने वाली एमआइसी की बैठक के एजेंडे में शामिल नहीं किया गया है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि अंतिम समय में निगमायुक्त बैठक में इसे रखवाकर चर्चा करा सकते हैं। इससे कर्मचारी परेशान हैं और इसका विरोध करने के लिए आक्रामक मुद्रा में आ गए हैं। कर्मचारियों के विनियमितीकरण के मामले को लेकर ही नगर निगम आयुक्त और महापौर पर मप्र शासन ने उंगली उठाकर जवाब-तलब किए जाने का निर्णय लिया था।
नगर निगम में कार्यरत 2869 दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को 2017 में विनियमित किया गया था। इस प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए राज्य शासन को भेजा गया था, लेकिन पौने दो साल बाद भी अनुमोदन नहीं हो पाया। इन कर्मचारियों द्वारा छठवां वेतनमान दिए जाने की मांग की जा रही है, वहीं दूसरी ओर उन्हें बढ़ा हुआ वेतन भी दिया जा रहा है, इससे नगर निगम के अधिकारी संकट में आ गए हैं।
शासन से अनुमोदन न होने और वित्तीय संकट बढ़ते देख नगर निगम के अधिकारियों ने प्रथम कैटेगरी के 263 को छोडकऱ बाकी सभी को यानि 2606 कर्मियों को फिर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी बनाने की तैयारी कर ली है।
अनुमोदन के लिए भेजा था सरकार को नगर निगम में कुछ समय पूर्व तत्कालीन एमआइसी सदस्य, निगम आयुक्त व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी पसंद के लगभग 2869 लोगों को कलक्ट्रेट रेट पर नौकरी पर रख लिया था। एमआइसी के संकल्प क्रमांक 566 दिनांक 17 अक्टूबर 2017 से प्रथम कैटेगरी के 263 एवं द्वितीय कैटेगरी के 2606 कुल 2869 कर्मचारियों को निगम परिषद की स्वीकृति की प्रत्याशा में स्थायी कर्मी योजना में विनियमित किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई। एमआइसी के आदेश के बाद नगर निगम ने नगरीय विकास एवं आवास विभाग को प्रस्ताव अनुमोदन के लिए भेजा, लेकिन प्रस्ताव का अनुमोदन नहीं हुआ।
कमिश्नर ने भेजा एमआइसी को
प्रस्ताव सूत्रों ने बताया कि नगर निगम आयुक्त ने नगर निगम परिषद के सचिव को पत्र भेजा है, जिसमें कहा है कि द्वितीय कैटेगरी के दैनिक वेतन भोगी जो कि 16 मई 2017 के बाद आयुक्त/मेयर काउंसिल की स्वीकृति से समय-समय पर रखे गए थे, उन्हें भी विनियमित योजना का लाभ प्राप्त हुआ है। इनके द्वारा आगामी अन्य लाभ जैसे छठवां वेतनमान आदि की मांग की जा रही है। पत्र में आयुक्त ने कहा है कि स्थायी कर्मियों को विनियमित करने की योजना शासन स्वीकृति के अभाव में आगे कैसे निरंतरित रखी जाए, इस संबंध में पुन: विचार किया जाए।
यह हो सकता है नुकसान
नगर निगम कर्मियों ने बताया कि जिस समय उन्हें दैनिक वेतन भोगी के रूप में रखा गया था, उस समय 6100 रुपए मिलते थे। विनियमित होने के बाद सफाईकर्मी का वेतन साढ़े नौ हजार, ड्राइवरों का वेतन साढ़े बारह हजार, कम्प्यूटर ऑपरेटर और लिपिक का वेतन 13 से लेकर 14 हजार रुपए तक हो गया था। अगर फिर दैनिक वेतन भोगी बनाया गया पूर्व वेतन ही मिलेगा।
कर्मचारियों ने बनाई रणनीति
2606 विनियमित कर्मचारियों को दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी बनाने की तैयारी में देखकर नगर पालिका निगम कर्मचारी श्रमिक संघ ने भी रणनीति बना ली है। संघ के अध्यक्ष सोनू दौदेरिया, अरुण सोनवाल ने कहा कि यदि निगमायुक्त द्वारा एमआइसी को भेजे गए प्रस्ताव को स्वीकृत कर दैनिक वेतन भोगी बनाया जाता है तो आंदोलन होगा।
प्रस्ताव देखेंगे
-निगमायुक्त ने ऐसा कोई प्रस्ताव मेयर इन काउंसिल में भेजा है तो उसे देखेंगे। हमने तो पहले ही ऐसे कर्मियों को स्थायी कर दिया था। शासन से अनुमोदन हुआ है या नहीं, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। न ही मुझसे इस संबंध में शासन ने अभी कोई जवाब मांगा है।
विवेक शेजवलकर, महापौर