यह कहना है लेफ्टिनेंट कर्नल अजय सिंह कुशवाह का, वे दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से शौर्य चक्र लेने के बाद पत्रिका से खास बातचीत कर रहे थे। ग्वालियर के रचना नगर, गोला का मंदिर निवासी अजय सिंह को यह अवॉर्ड पहले 26 जनवरी 2020 को दिया जाना था, लेकिन कोविड-19 के कारण अब प्रदान किया गया। अजय सिंह ने 2018 में श्रीनगर में चार आतंकवादी और 2019 में अनंतनाग पुलवामा में छह आतंकवादी मार गिराए थे।
बेटों को भी भेजेंगे सेना में
कर्नल अजय सिंह ने बताया कि पिता वीर सिंह कुशवाह केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर रहे हैं। माताजी पद्मा कुशवाह हाउस वाइफ हैं, इस पदक को मिलने के बाद उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है। पिताजी हमेशा चाहते थे कि मैं सेना में नाम रोशन करूं, लेकिन आज वो हमारे बीच नहीं हैं। मेरे बड़े भाई विजय सिंह जो जेके टायर में सीए हैं, सेना में यहां तक पहुंचने में मेरी सबसे अधिक मदद की है और मेरे हर ऑपरेशन की पूरी खबर रखते थे। इसके साथ ही पत्नी मीनाक्षी कुशवाह भी फक्र महसूस कर रही हैं। ऑपरेशन के समय कई दिनों तक बात नहीं हो पाती है लेकिन आज उन्हें भी अच्छा लग रहा है। मेरे दोनों बेटे माधविजय एवं विश्वविजय दोनों देश सेवा के लिए आर्मी में जाना चाहते हैं।
आसाम से जम्मू तक किए ऑपरेशन
पिछले दस वर्ष की अगर बात की जाए तो मध्यप्रदेश से कर्नल अजय सिंह ही अकेले हैं जिन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। इससे पहले अजय सेना मेडल से सम्मानित हो चुके हैं। उन्होंने सेंट पॉल स्कूल में पढ़ाई की उसके बाद एमएलबी कॉलेज से स्नातक किया, यहीं पर उन्होंने एनसीसी ली थी और उसके बाद 19 वर्ष की उम्र में देश की सेवा के लिए उतर गए थे। उन्होंने बताया कि वर्तमान में मैं थ्री जम्मू एंड कश्मीर रायफल को कमांड कर रहा हूं। ये यूनिट पंजाब में हैं। इसे रघुनाथ बटालियन के नाम से जाना जाता है। देश की सीमाओं पर काम कर चुके अजय ने आसाम से लेकर जम्मू तक ऑपरेशन किए हैं।