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गोशाला जुड़ेगी पर्यटन से, देशभर से आए सदस्यों ने जाना प्रबंधन

locationग्वालियरPublished: Jan 20, 2019 09:16:45 pm

कृषि पर्यटन कार्यशाला में शामिल सदस्यों ने किया भ्रमण

Gaushala

गोशाला जुड़ेगी पर्यटन से, देशभर से आए सदस्यों ने जाना प्रबंधन

ग्वालियर. स्वस्थ व्यक्ति और स्वस्थ समाज के लिए स्वस्थ भोजन बहुत जरूरी है, जो कि देशी गाय के बिना संभव नहीं है, लेकिन विदेशी षड्यंत्र और खाद निर्माता कंपनियों ने देश में ऐसा माहौल तैयार किया कि लोगों ने गाय आधारित कृषि को छोडकऱ कैमिकल आधारित कृषि शुरू कर दी। इसके चलते गाय को घर से बाहर निकाल दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि लोगों ने गो माता की तरह अपने माता पिता को भी घरों से निकालना शुरू कर दिया। यही वजह है कि देश में जिस प्रकार से गो शालाओं की जरूरत पड़ रही है। उसी अनुरूप वृद्धाश्रम भी खोले जा रहे हैंं। अगर समाज चाहता है कि वृद्धाश्रम की कुसंस्कृति न पनपे तो जरूरी है कि घरों में पुन: गाय को स्थापित किया जाए।
यह बात गो शाला लाल टिपारा मुरार में रविवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान स्वामी ऋषभ देवानंद ने कृषि पर्यटन पर आयोजित कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि अब समय है देश में पुन: गो आधारित खेती की। ताकि गायों को पुन: संरक्षित किया जा सके। गाय संरक्षित होगी तो खेतों से कैमिकल हट सकेगा, जिससे कैंसर, कुपोषण, हार्टअटैक जैसी घातक बीमारियों से इस देश को बचाया जा सकेगा। इस दौरान देशभर से आए पर्यटन प्रबंधन के गुण सीखने के लिए सदस्यों ने गो शाला का भ्रमण किया। गो शाला के प्रबंधन पर जानकारी अपडेट की। कैसे देश में आने वाले पर्यटकों को कृषि क्षेत्र, गो सरंक्षण जैसे विषयों पर आर्कषित किया जाए इस पर भी एक्सपर्ट ने सुझाव दिए। इस दौरान आइटीटीएम के डायरेक्टर प्रो.संदीप कुलश्रेष्ठ, असिस्टेंट प्रो. चंद्रशेखर बरुआ, डॉ.रानू चौहान, अश्विनी कुमार, बाबूलाल यादव, दिव्या तलरेजा आदि मौजूद रहे।
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गाय एक पूरा उद्योग है। इस विषय पर गोशाला में चल रहे कई कार्यों को भी दल ने देखा। इसमें गोबर से लकड़ी बनाकर मुक्तिधाम में उपयोग कर लकड़ी के उपयोग को घटाने, पर्यावरण संरक्षित करने, गो नाइल का निर्माण, गोबर से दिए बनाने, धूप बत्ती बनाने जैसे कई कार्यों को देखा। वहीं नोडल अधिकारी केशव सिंह चौहान के अनुरोध पर उज्जैन से आए तीन सदस्यीय दल ने गो सेवकों को गो आधारित उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण भी दिया।
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