सुबह के समय बाजार में खड़ी होती है गाड़ी
देर रात घूमने के दौरान पुरानी छावनी और ट्रांसपोर्ट नगर में कुछ वाहन चालकों ने बताया कि मावा ट्रकों में नहीं मिलेगा। बल्कि यह बसों में आता है और ग्वालियर से लंबी दूरी तक जाने वाली बसों में रखकर बाहर भेजा जा रहा है। श्योपुर से दो गाड़ी मावा मोर बाजार में लाया जाता है। श्योपुर से आने वाली यह गाड़ी बाजार के बाहर तिराहे के पास खड़ी होती है और ड्राइवर खड़ी करके दूर हो जाता है। इसके बाद व्यवसाई यहां से डलिया उतरवा लेते हैं।
पर्ची से होती है पहचान
मावा उतारने वाले व्यापारी अपनी डलिया को कोड वर्ड से पहचान करते हैं। इन डलियों को लाने वाले वाहन चालक के पास दस्तावेज नहीं होते हैं। बल्कि डलियों पर नंबर या कुछ शब्द लिखे जाते हैं, जिनसे व्यापारी पहचान कर लेते हैं।
यह दिखा सडक़ों पर हाल
गोला का मंदिर
-यहां रात के समय तीन बसें खड़ी हुई थीं, इसमें से एक बस के पीछे वाली डिक्की में टीन रखे नजर आए। जबकि कुछ लकड़ी के बॉक्स भी रखे थे। बस के स्टाफ ने बमुश्किल पांच मिनट के लिए डिक्की को खोला और फिर बंद कर दिया।
विक्की फैक्ट्री
-जब टीम यहां पहुंची तो रात के समय भूसे की दो ट्रॉली निकली,जिनको पुलिस ने नहीं रोका। इसके साथ ही घाटीगांव की ओर से आए रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली भी आसानी से शहर में प्रवेश कर गए। थोड़ी दूर आगे बढऩे पर शिवपुरी लिंक रोड से कैंसर हॉस्पिटल जाने वाली रोड के पास दूध के दो बड़े टैंकर खड़े मिले। इनमें से एक टैंकर तुरंत चला गया जबकि दूसरा थोड़ी देर तक खड़ा होने के बाद रवाना हुआ। इसी तरह के टैंकरों में पहले मिलावटी दूध पकड़ा जा चुका है।
पुरानी छावनी
-मुरैना की ओर से आने वाली तीन बोलेरो पिकअप में दूध के कैन रखे हुए थे। चौराहे पर खड़े जवानों के पास यह वाहन बमुश्किल दो या तीन मिनट के लिए रुके और फिर बायपास की ओर रवाना हो गए। यह गाडिय़ां कहां जा रही थीं, यह पता नहीं चल सका।
-मिलावट के खिलाफ अभियान लगातार जारी है, रात में खाद्य पदार्थ लेकर जाने वाले वाहनों की चेकिंग भी कराई जाएगी।
अनुराग चौधरी, कलेक्टर