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एक महीने तक कसावट के बाद ढील मिलते ही फिर शुरू हुआ बसों में मावा का परिवहन

locationग्वालियरPublished: Feb 17, 2020 12:45:05 pm

Submitted by:

Dharmendra Trivedi

-गोला का मंदिर, बस स्टैंड क्षेत्र से निकलती हैं बसें

After getting relaxed after a month of tightening, transportation of Mawa in buses started again

After getting relaxed after a month of tightening, transportation of Mawa in buses started again

ग्वालियर। पिछले साल अगस्त से अक्टूबर के बीच बसों की चेकिंग में मावा के परिवहन की बात सामने आ चुकी है लेकिन अब मिलावट के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों का फोकस मसाला फैक्ट्री और डेयरियों तक सिमट कर रह गया है। बसों से आने वाले सामान की चेकिंग में अब अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं। परिणाम यह है कि चोरी छुपे शहर में आने वाले मावे की खपत फिर बढ़ गई है। बस या फिर छोटे वाहनों में रखकर धौलपुर,श्योपुर, भिंड की ओर से शहर में मावा लाया जा रहा है। जबकि ग्वालियर आने वाला यह मावा भोपाल सहित महाराष्ट्र के शहरों में भेजा जा रहा है। रात में अधिकारियों के निरीक्षण की स्थिति और मावा आदि के परिवहन को लेकर प्रशासनिक सतर्कता को परखने के लिए पत्रिका ने शनिवार-रविवार की रात 12.00 बजे से लेकर 1.30 बजे तक गोला का मंदिर, विक्की फैक्ट्री और पुरानी छावनी क्षेत्र को देखा तो एक जगह बस में मावा नजर आया। जबकि दूध के चार टैंकर बेरोकटोक निकले।

 

सुबह के समय बाजार में खड़ी होती है गाड़ी
देर रात घूमने के दौरान पुरानी छावनी और ट्रांसपोर्ट नगर में कुछ वाहन चालकों ने बताया कि मावा ट्रकों में नहीं मिलेगा। बल्कि यह बसों में आता है और ग्वालियर से लंबी दूरी तक जाने वाली बसों में रखकर बाहर भेजा जा रहा है। श्योपुर से दो गाड़ी मावा मोर बाजार में लाया जाता है। श्योपुर से आने वाली यह गाड़ी बाजार के बाहर तिराहे के पास खड़ी होती है और ड्राइवर खड़ी करके दूर हो जाता है। इसके बाद व्यवसाई यहां से डलिया उतरवा लेते हैं।

 

पर्ची से होती है पहचान
मावा उतारने वाले व्यापारी अपनी डलिया को कोड वर्ड से पहचान करते हैं। इन डलियों को लाने वाले वाहन चालक के पास दस्तावेज नहीं होते हैं। बल्कि डलियों पर नंबर या कुछ शब्द लिखे जाते हैं, जिनसे व्यापारी पहचान कर लेते हैं।

 

यह दिखा सडक़ों पर हाल


गोला का मंदिर

-यहां रात के समय तीन बसें खड़ी हुई थीं, इसमें से एक बस के पीछे वाली डिक्की में टीन रखे नजर आए। जबकि कुछ लकड़ी के बॉक्स भी रखे थे। बस के स्टाफ ने बमुश्किल पांच मिनट के लिए डिक्की को खोला और फिर बंद कर दिया।


विक्की फैक्ट्री

-जब टीम यहां पहुंची तो रात के समय भूसे की दो ट्रॉली निकली,जिनको पुलिस ने नहीं रोका। इसके साथ ही घाटीगांव की ओर से आए रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली भी आसानी से शहर में प्रवेश कर गए। थोड़ी दूर आगे बढऩे पर शिवपुरी लिंक रोड से कैंसर हॉस्पिटल जाने वाली रोड के पास दूध के दो बड़े टैंकर खड़े मिले। इनमें से एक टैंकर तुरंत चला गया जबकि दूसरा थोड़ी देर तक खड़ा होने के बाद रवाना हुआ। इसी तरह के टैंकरों में पहले मिलावटी दूध पकड़ा जा चुका है।


पुरानी छावनी

-मुरैना की ओर से आने वाली तीन बोलेरो पिकअप में दूध के कैन रखे हुए थे। चौराहे पर खड़े जवानों के पास यह वाहन बमुश्किल दो या तीन मिनट के लिए रुके और फिर बायपास की ओर रवाना हो गए। यह गाडिय़ां कहां जा रही थीं, यह पता नहीं चल सका।

-मिलावट के खिलाफ अभियान लगातार जारी है, रात में खाद्य पदार्थ लेकर जाने वाले वाहनों की चेकिंग भी कराई जाएगी।
अनुराग चौधरी, कलेक्टर

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