नरेश काटे ने कार्यक्रम की शुरुआत प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है… से की। उन्होंने पंकज उदास, मेहंदी हसन, जगजीत सिंह, नसीम रिफ त आदि की गजलें सुनाकर समां बांध। काटे ने ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो…, हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफि र की तरह…, कितनी राहत है दिल टूट जाने के बाद…, चि_ी आई है…सुनाकर हर एक का दिल जीता।
दे रात तक बांधा समां
मुंबई से आए गजल गायक शशांक ठाडा ने इस महफिल का सफर आगे बढ़ाते हुए जिंदगी जब भी तेरी बज्म में लाती है हमें… गजल पेश की। उन्होंने खुदा करे कि मोहब्बत में वो मुकाम आए…, तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है…, आज जाने की जिद न करोण्…, जब आंचल रात का लहराए…, किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है… सहित कई गजलें पेश कीं।
मुंबई से आए गजल गायक शशांक ठाडा ने इस महफिल का सफर आगे बढ़ाते हुए जिंदगी जब भी तेरी बज्म में लाती है हमें… गजल पेश की। उन्होंने खुदा करे कि मोहब्बत में वो मुकाम आए…, तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है…, आज जाने की जिद न करोण्…, जब आंचल रात का लहराए…, किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है… सहित कई गजलें पेश कीं।