दरअसल, पशु चिकित्सा विभाग के शुरुआती सर्वे में लगभग 22 हजार गायें ऐसी सामने आईं थीं, जिनका कहीं ठिकाना नहीं था। यह गोवंश ज्यादातर बाजार, सडक़ सहित अन्य जगहों पर रहता है। वर्तमान में बारिश का सीजन शुरू होते ही शहर और गांव की सडक़ों पर आवारा गोवंश बहुतायत में नजर आने लगा है। सूखी जमीन की तलाश में गायें रात के समय मुख्य मार्गों पर भी निकल आती हैं, जिसके कारण वाहन चालकों के दुर्घटना ग्रस्त होने और गायों के भी घायल होने की आशंका लगातार बनी है।
इस समस्या से निजात के लिए चिह्नित गोशालाओं के प्रस्ताव गोसंवर्धन बोर्ड को भेजे गए थे। बोर्ड से हरी झंडी मिलने के बाद जिला प्रशासन ने राशि की स्वीकृति प्रदान की है ताकि गोशालाओं का निर्माण तेजी से हो सके। कलेक्टर अनुराग चौधरी ने बताया कि गौवंश को सुरक्षित करने के लिए जिले की चारों जनपद में 27 ग्राम पंचायतों में गौशालाओं का निर्माण शुरू करा रहे हैं। प्रत्येक गौशाला में शेड, भूसा,पानी और बिजली सहित चिकित्सा आदि की व्यवस्था रहेगी।
इन गांवों में बनेंगी गोशालाएं