जलीय जीवों पर खतरा
चंबल नदी में प्रदूषण के कारण घडिय़ाल और डॉल्फिन समेत सभी जलीय वन्यजीवों की जान पर खतरा मंडरा रहा है. मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल पहुंची पीपुल फॉर एनिमल्स की याचिका पर एनजीटी ने सुनवाई की थी। इसमें अदालत ने याचिकाकर्ता पीपुल फॉर एनिमल्स की ओर से दायर याचिका पर चंबल की ग्राउंड रिपोर्ट तैयार कर राजस्थान सरकार के संबंधित विभागों को कार्रवाई का आदेश दिया था।
– राजस्थान से नदी का उद्गम होता है। इसकी लंबाई 1000 किलोमीटर है जो मध्यप्रदेश से होकर उत्तरप्रदेश की सीमा में यमुना नदी में जाकर मिलती है।
दो नेशनल सेंचुरी : एक कोटा में जवाहर सागर वाइल्डलाइफ सेंचुरी और दूसरी नेशनल चंबल सेंचुरी है। 426 किमी लंबी चंबल सेंचुरी तीन हिस्सों में है जिसका एक हिस्सा मध्यप्रदेश में आता है।
चार बांध : नदी पर चार बांध हैं जो सभी राजस्थान में हैं।
– धौलपुर और कोटा में सीवरेज का पानी और उद्योगों का अपशिष्ट नदी को दूषित कर रहा है। सरकार का दावा है कि कोटा शहर में 22 गंदे नाले चंबल में गिरते हैं उनमें से 10 बंद करा दिए, बाकी 12 नालों को बंद करने की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि यह अभी तक की स्थिति में प्रयास ही हैं, कोई ठोस उपाय नहीं हो सके हैं। यहां एकमात्र
– नागदा में उद्योगों से निकलने वाले पानी से चंबल दूषित हो रही है। इसके लिए पानी की सैंपल रिपोर्ट पेश की गई जिसमें पानी में लैड, मरक्यूरी और एल्यूमिनियम जैसे हानिकारक तत्वों की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ी हुई मिली। दअरसल नागदा के उद्योगों से क्लोरिन गैस सहित कई प्रकार के जहरीले रसायन नालों के रास्ते नदी में छोड़ा जाता था। जिससे शहर की आबोहवा पर काफी प्रभाव पड़ा था। मामला वर्ष 2017 में एनजीटी में पहुंचा। एनजीटी ने उद्योगों को प्रदूषण नियंत्रण के आदेश दिए। जिस पर उद्योगों ने जीरो लिक्विड डिस्चार्ज व डिस्प्ले मीटर लगाए। लेकिन नालोंं से गंदगी पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं लग पाया है।
उत्तरप्रदेश :
– यमुना नदी का प्रदूषण भी चंबल के लिए खतरा है। मध्यप्रदेश से आगे बढक़र चंबल नदी यमुना में मिलती है। यमुना में गंदगी में पनप रही कवई मछली का चंबल में आना घडिय़ालों के लिए बड़ा संकट हो सकता है। इस मछली को खाने से घडिय़ाल में लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। बता दें कि 15 साल पहले 100 से अधिक घडिय़ालों की मौत के पीछे लिवर सिरोसिस को वजह माना गया था, लेकिन इस पर कोई अधिकृत रिपोर्ट सामने नहीं आई।
तुलसीराम सिलावट, जलसंसाधन मंत्री