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चंबल के पानी में प्रदूषण पर राजस्थान में चिंता, मध्यप्रदेश बेफिक्र

locationग्वालियरPublished: May 11, 2022 05:05:21 pm

Submitted by:

Nitin Tripathi

मध्यप्रदेश को घडिय़ाल स्टेट का दर्जा दिलाने वाली चंबल सेंचुरी में वर्ष 2022 की गणना में 162 घडिय़ाल कम हुए हैं, माना जा रहा है चंबल नदी में बढ़ता प्रदूषण इसका एक कारण है।

Chambal River

चंबल के पानी में प्रदूषण पर राजस्थान में चिंता, मध्यप्रदेश बेफिक्र

ग्वालियर . चंबल के प्रदूषण पर एनजीटी के सख्त रुख के बाद राजस्थान में तो चिंता शुरू हो गई है लेकिन मध्यप्रदेश अभी तक बेफिक्र है। चंबल सेंचुरी में वर्ष 2022 की जलीय जीव गणना ने यहां चिंता बढ़ाई है। चंबल सेंचुरी में पिछले साल के 2176 आंकड़े के मुकाबले घडिय़ाल की संख्या इस बार 2014 रह गई है। इस पर सेंचुरी प्रबंधन वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन की बात कर रहा है। जबकि चंबल के प्रदूषण से जलीय जीवों पर खतरे का मामला पहले ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पहुंच चुका है।
एनजीटी में याचिका…
जलीय जीवों पर खतरा
चंबल नदी में प्रदूषण के कारण घडिय़ाल और डॉल्फिन समेत सभी जलीय वन्यजीवों की जान पर खतरा मंडरा रहा है. मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल पहुंची पीपुल फॉर एनिमल्स की याचिका पर एनजीटी ने सुनवाई की थी। इसमें अदालत ने याचिकाकर्ता पीपुल फॉर एनिमल्स की ओर से दायर याचिका पर चंबल की ग्राउंड रिपोर्ट तैयार कर राजस्थान सरकार के संबंधित विभागों को कार्रवाई का आदेश दिया था।
चंबल का महत्व इस तरह समझिए
– राजस्थान से नदी का उद्गम होता है। इसकी लंबाई 1000 किलोमीटर है जो मध्यप्रदेश से होकर उत्तरप्रदेश की सीमा में यमुना नदी में जाकर मिलती है।
दो नेशनल सेंचुरी : एक कोटा में जवाहर सागर वाइल्डलाइफ सेंचुरी और दूसरी नेशनल चंबल सेंचुरी है। 426 किमी लंबी चंबल सेंचुरी तीन हिस्सों में है जिसका एक हिस्सा मध्यप्रदेश में आता है।
चार बांध : नदी पर चार बांध हैं जो सभी राजस्थान में हैं।
राजस्थान :
– धौलपुर और कोटा में सीवरेज का पानी और उद्योगों का अपशिष्ट नदी को दूषित कर रहा है। सरकार का दावा है कि कोटा शहर में 22 गंदे नाले चंबल में गिरते हैं उनमें से 10 बंद करा दिए, बाकी 12 नालों को बंद करने की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि यह अभी तक की स्थिति में प्रयास ही हैं, कोई ठोस उपाय नहीं हो सके हैं। यहां एकमात्र
अभी यह हुआ – नदी में प्रदूषण का मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में जाने के बाद चंबल के पानी को दूषित होने से बचाने के निर्देश दिए गए। राजस्थान सरकार ने इसके लिए पर्यावरण विभाग को एक्शन प्लान बनाने का आदेश दिया है। कोटा में डेढ़ सौ करोड़ से स्पेशल ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है वो भी महज 5 फीसदी काम कर रहा है।
मध्यप्रदेश
– नागदा में उद्योगों से निकलने वाले पानी से चंबल दूषित हो रही है। इसके लिए पानी की सैंपल रिपोर्ट पेश की गई जिसमें पानी में लैड, मरक्यूरी और एल्यूमिनियम जैसे हानिकारक तत्वों की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ी हुई मिली। दअरसल नागदा के उद्योगों से क्लोरिन गैस सहित कई प्रकार के जहरीले रसायन नालों के रास्ते नदी में छोड़ा जाता था। जिससे शहर की आबोहवा पर काफी प्रभाव पड़ा था। मामला वर्ष 2017 में एनजीटी में पहुंचा। एनजीटी ने उद्योगों को प्रदूषण नियंत्रण के आदेश दिए। जिस पर उद्योगों ने जीरो लिक्विड डिस्चार्ज व डिस्प्ले मीटर लगाए। लेकिन नालोंं से गंदगी पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं लग पाया है।
अभी की स्थिति – मध्यप्रदेश में इस साल घडिय़ालों की संख्या कम रही है, हालांकि वन विभाग इसके पीछे प्रदूषण के बजाय अतिवृष्टि और बाढ़ को वजह बताता है। ऐसे में प्रदेश सरकार की तरफ से चंबल को बचाने की कोई तैयारी नहीं है।
उत्तरप्रदेश :
– यमुना नदी का प्रदूषण भी चंबल के लिए खतरा है। मध्यप्रदेश से आगे बढक़र चंबल नदी यमुना में मिलती है। यमुना में गंदगी में पनप रही कवई मछली का चंबल में आना घडिय़ालों के लिए बड़ा संकट हो सकता है। इस मछली को खाने से घडिय़ाल में लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। बता दें कि 15 साल पहले 100 से अधिक घडिय़ालों की मौत के पीछे लिवर सिरोसिस को वजह माना गया था, लेकिन इस पर कोई अधिकृत रिपोर्ट सामने नहीं आई।
एक्सपर्ट कमेंट

एनजीटी में चंबल नदी को दूषित करते नालों और उसकी वजह से जलीय जीवों पर संकट पर याचिका लगाई थी। एनजीटी ने इसमें फैसला दिया था उसपर अमल नहीं किया। ट्रीटमेंट के लिए एसटीपी लगाई जो काम नहीं कर रही। अब अवमानना याचिका दायर करेंगे। जलीय जीवों पर संकट है, घडिय़ालों के आंकड़े भी गलत बताए जाते हैं। घडिय़ाल खतरे में हैं। डॉल्फिन दिखती नही हैं। सरकार अगर मान लेगी कि प्रदूषण से घडिय़ाल खत्म हो रहे हैं तो उनको बचाने की जिम्मेवारी बढ़ जाएगी। इसलिए सरकारें सचाई छुपाती हैं।
बाबूलाल जाजू, पर्यावरणविद्

चंबल नदी के प्रदूषित होने की जानकारी नहीं है। अगर ऐसा मामला है तो उसका परीक्षण कराकर नदी को प्रदूषण मुक्त करने की प्लानिंग की जाएगी।
तुलसीराम सिलावट, जलसंसाधन मंत्री
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