जिन कर्मचारियों ने अपने क्वॉर्टर किराए पर उठा रखे हैं वे किसी को शक न हो इसलिए अपनी स्वयं की नेमप्लेट लगाए हुए हैं। यहां तक कि किराएदार को भी पट्टी पढ़ा दी जाती है कि अगर कोई जांच या पूछताछ करने आए तो उसे बता दें कि अमुक व्यक्तिका क्वॉर्टर है वे यहां रहते हैं हम रिश्तेदार हैं वे बाहर गए हैं।
सरकारी आवास का आवंटन भले ही कमिश्नरी में आवास आवंटन समिति करती हो पर अनुशंसा लोक निर्माण विभाग द्वारा की जाती है, जिसके चलते लोक निर्माण के कर्मचारियों को तुरंत क्वॉर्टर आवंटन हो जाता है, जबकि दूसरे विभाग के कर्मचारी सालों तक चक्कर लगाते रहते हैं। इसीलिए ज्यादातर क्वॉर्टर लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों के पास हैं।
अगर सरकारी क्वॉर्टर से मुनाफे की बात करें तो तृतीय श्रेणी कर्मचारी के वेतन से सरकारी आवास का किराया 1500 से 2000 रुपए तक कटता है, जबकि उसे चार कमरे, किचन, लेथ बाथ समेत बरामदा रहने को मिलता है। अगर इतने ही स्पेश का मकान निजी तौर पर तलाशे तो उसका किराया कम से कम 7 से 8 हजार रुपए का पड़ेगा। 1500 रुपए अपने वेतन से कटवाकर कुछ कर्मचारी सरकारी आवास को 4 से 5 हजार रुपए किराए पर उठाए हुए हैं। इसी तरह कुछ कर्मचारी कम किराए पर सरकारी आवास में रहकर स्वयं के मकान को 8 से 10 हजार रुपए तक किराए पर उठाए हुए हैं।
आपके द्वारा यह मामला मेरे संज्ञान में लाया गया है। यदि कोई शिकायत करता है तो संबंधित की जांच करवाई जाएगी। जांच सही पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
आरके गुप्ता कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग