जिस जमीन को लेकर विवाद है, वह कुल 315 बीघा है। इस जमीन के 86 अलग-अलग सर्वे नंबर है, जिन पर कागजों में हेराफेरी कर इसे विवादित बना दिया गया। शर्मा ने बताया कि आजादी से पूर्व यह जमीन नौ लखा परेड के नाम से ग्वालियर स्टेट की थी। आजादी के बाद इसे सेना को दे दिया गया था, लेकिन बाद में इसके बदले सेना को दुगनावली में जमीन दी जा चुकी है। जैसे ही यह जमीन सेना से हटी, इस पर लोगों की नजरें लग गईं, लोगों ने दस्तावेजों में गड़बड़ी कर कब्जा करना शुरू कर दिया।
इस जमीन से रसूखदारों के जुड़े होने के कारण इस मामले में व्यवहार न्यायालय से डिक्री होने के बाद इन लोगों ने इसकी अपील तब होने दी, जब इसका समय निकल गया। इस प्रकार शासन को लगातार इस मामले में हराया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए इस मामले को फिर से गुण-दोष के आधार पर सुने जाने के आदेश दिए, जिस पर यह मामला चल रहा है।