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शासन ने कोर्ट में कहा-इन आवेदनों को सुना तो आ जाएंगे 500 और आवेदन,जानिए क्या है मामला

locationग्वालियरPublished: Aug 03, 2018 08:00:00 pm

Submitted by:

Rahul rai

अतिरिक्त जिला न्यायालय में चल रही सुनवाई के दौरान शासन ने कहा कि यह आवेदन प्रकरण की सुनवाई को लंबित करने के लिए प्रस्तुत किए जा रहे हैं, इसलिए इन आवेदनों को खारिज किया जाए

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शासन ने कोर्ट में कहा-इन आवेदनों को सुना तो आ जाएंगे 500 और आवेदन,जानिए क्या है मामला

ग्वालियर। विद्या विहार कॉलोनी के मामले में न्यायालय में प्रस्तुत किए गए नये आवेदनों का शासन ने विरोध किया है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर अतिरिक्त जिला न्यायालय में चल रही सुनवाई के दौरान शासन ने कहा कि यह आवेदन प्रकरण की सुनवाई को लंबित करने के लिए प्रस्तुत किए जा रहे हैं, इसलिए इन आवेदनों को खारिज किया जाए। शासन की ओर से कहा गया कि यदि इन आवेदनों को सुनवाई में लिया गया तो पांच सौ से अधिक आवेदन और प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
शासकीय अधिवक्ता जगदीश प्रसाद शर्मा ने चन्द्र प्रकाश द्वारा प्रस्तुत आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी पुत्रियों को पक्षकार बनाए जाने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया है, जबकि पूर्व में उन्हें कई अवसर प्रदान किए गए, तब उन्होंने पुत्रियों के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी। अब उन्होंने प्रकरण को लंबित कराने के लिए आवेदन दिया है।
इसी तरह मुन्ना सिंह और सरला सिंह द्वारा एक आवेदन प्रस्तुत कर कहा गया कि उन्होंने मॉडर्न गृह निर्माण समिति के माध्यम से यहां 2006 में प्लाट खरीदे थे, इसलिए उन्हें पक्षकार बनाया जाए। अधिवक्ता शर्मा ने उनके आवेदनों का विरोध करते हुए कहा कि मुन्ना सिंह व सरला सिंह ने विवादित जमीन पर प्लाट खरीदे थे, इसलिए उनके आवेदनों पर विचार नहीं किया जाए।
आजादी के बाद सेना को मिली थी जमीन
जिस जमीन को लेकर विवाद है, वह कुल 315 बीघा है। इस जमीन के 86 अलग-अलग सर्वे नंबर है, जिन पर कागजों में हेराफेरी कर इसे विवादित बना दिया गया। शर्मा ने बताया कि आजादी से पूर्व यह जमीन नौ लखा परेड के नाम से ग्वालियर स्टेट की थी। आजादी के बाद इसे सेना को दे दिया गया था, लेकिन बाद में इसके बदले सेना को दुगनावली में जमीन दी जा चुकी है। जैसे ही यह जमीन सेना से हटी, इस पर लोगों की नजरें लग गईं, लोगों ने दस्तावेजों में गड़बड़ी कर कब्जा करना शुरू कर दिया।
रसूखदारों ने समय पर नहीं होने दी अपील
इस जमीन से रसूखदारों के जुड़े होने के कारण इस मामले में व्यवहार न्यायालय से डिक्री होने के बाद इन लोगों ने इसकी अपील तब होने दी, जब इसका समय निकल गया। इस प्रकार शासन को लगातार इस मामले में हराया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए इस मामले को फिर से गुण-दोष के आधार पर सुने जाने के आदेश दिए, जिस पर यह मामला चल रहा है।
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