बोरिंग तक सूख गईं
स्वर्ण रेखा नाले को पक्का कर उसमें नाव चलाने की योजना के नाम पर लाखों रुपए पानी की तरह बहा दिए गए, लेकिन न तो नाव चली और न साफ पानी बह सका। फूलबाग क्षेत्र में नाले को पक्का करने के कारण वाटर लेवल नीचे चला गया। यहां नाला ही वाटर रीचार्ज का एकमात्र जरिया था, लोगों की बोरिंग सूख गईं।
स्वर्ण रेखा को पक्का करने पर कई बार सवाल उठे हैं। पीएस से मंत्री तक इसकी शिकायत की जा चुकी है। पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने भी इस पर सवाल खड़े किए थे।
अमृत योजना के तहत सुरेश नगर, जेएएच, भीम नगर, दर्पण कॉलोनी, आर्य नगर, अशोक कॉलोनी, मुरार घासमंडी के नाले को आरसीसी किया जाना है। इसमें से जेएएच और भीम नगर में कार्य भी शुरू हो चुका है।
सात नालों को पक्का करने के लिए 19.16 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। निगम की योजना के अनुसार जिन नालों को पक्का किया जा रहा है, उन्हें मुरार नदी से जोड़ा जाएगा। निगम अधिकारियों के अनुसार नालों को पक्का करने का उद्देश्य यह है कि बारिश के समय नालों के ओवरफ्लो होने पर कहीं से भी पानी निकलने लगता है, जिससे समस्या आती है।
स्वर्ण रेखा को लेकर जो योजना थी, वह मूर्तरूप नहीं ले सकी। सही ढंग से योजना का क्रियान्वयन नहीं किया गया, जिसके कारण समस्या आई। पीएचई की सीवर लाइन स्वर्ण रेखा में मिली हुई है, जिससे गंदा पानी इसमें भरता है। इसको लेकर जब तक काम नहीं होगा, इसमें साफ पानी नहीं बह सकता।
एसके मिश्रा, रिटायर्ड एसडीओ
अमृत योजना में पांच नालों को पक्का किया जाना है, जिसमें से 2 जगह काम शुरू हो गया है। वाटर हार्वेस्टिंग के लिए नालों में बीच में पत्थर लगाएंगे, जिससे वाटर रीचार्जिंग हो सके।
अखिलेश्वर सिंह, रेजीडेंट इंजीनियर, पीडीएमसी
बिना सोचे समझे निगम योजना बनाता है, बाद में सभी को पछताना पड़ता है। नालों को पक्का करने से वाटर रीचार्जिंग नहीं होगी और इसका असर ग्राउंड वाटर लेवल पर पड़ेगा।
कृष्णराव दीक्षित, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम