यह खबर भी पढ़ें : बड़ी बहन के प्यार में पागल था युवक, रिश्ता टूटा तो छोटी बहन के साथ की यह हरकत और मार दी गोली हालांकि कैलारस नगर परिषद के अधिकारी पानी की आवश्यकता का आकलन करके नहीं आए थे इसलिए विस्तार से चर्चा नहीं हो सकी। इस पर अलग से चर्चा की जाएगी। बैठक में आयुक्त ननि ग्वालियर विनोद शर्मा,आयुक्त ननि मुरैना डीएस परिहार,अधीक्षण यंत्री जल संसाधन विभाग आरपी झा के अलावा संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।
यह खबर भी पढ़ें : करवा चौथ8 अक्टूबर को, महाव्रत की तैयारी में जुटी महिलाएं कलेक्टर लाक्षाकार ने बताया कि वर्ष २०१८ में मुरैना को १८.९८७, २०३६ में २५.३२७ एवं २०५१ में ३२.७७ मिलियन क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध कराया जाएगा। जबकि कैलारस को क्वारी नदी से २०१८ में ०.८७६, २०२३ में १.०२२, वर्ष २०४८ में १.०५५ एवं गोहद को कोतवाल डैम से वर्ष २०१८ में ४.४३, २०३३ में ५.९५ एवं २०४८ में ७.५२ मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की आवश्यकता होगी। गोहद को कोतवाल डैम से ४.४३ मिलियन क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध कराने के लिए नपा गोहद के प्राधिकृत अधिकारी को निर्धारित प्रारूप में ईई सिंचाई विभाग गोहद के साथ अनुुबंध करना पड़ेगा।
यह खबर भी पढ़ें : सड़क पर दौड़ी तेजाब से भरी गाड़ी, फिर हुआ जोरदार विस्फोट, ये हुआ लोगों का हाल मुरैना को क्यूरीफाइड व ग्वालियर को मिलेगा रॉ वाटर
बैठक में बताया कि मुरैना एवं ग्वालियर के लिए इंटकवेल संयुक्त रूप से भानपुर रेस्ट हाउस परिसर में बनाया जाएगा। यहां से एक पाइप से मुरैना व दूसरे ग्वालियर के लिए पानी जाएगा। मुरैना को क्यूरीफाइड पानी मिलेगा जबकि ग्वालियर को रॉ वाटर की आपूर्ति की जाएगी। आयुक्त ननि ग्वालियर ने बताया कि जब आवश्यकता के अनुसार बरसात में बाढ़ के समय ही चंबल नदी के तेज बहाव से व्यर्थ बहने वाले पानी को पाइप लाइन के माध्यम से ग्वालियर के तिघरा एवं अपर ककैटो जैसे बांधों में स्टोर कर लिया जाएगा। इसका आवश्यकता के अनुसार उपयोग किया जाएगा। वाटर प्रोजेक्ट पर काम में देरी से इसकी लागत और बढऩे की संभावना है। ९८ करोड़ का वाटर प्रोजेक्ट पांच साल में बढ़कर ३०० करोड़ के पार जा पहुंचा है।
बैठक में भविष्य को ध्यान में रखते हुए क्वारी एवं श्योपुर जिले की पार्वती नदी को नदी जोड़ो योजना में शामिल करने पर भी चर्चा हुई। इन नदियों को जोडऩे की पहल करने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही चंबल नदी के रहूघाट पर बांध बनाने का प्रस्ताव भी आगे बढ़ाने पर सहमति बनी। इससे न केवल चंबल में ज्यादाा पानी उपलब्ध हो सकेगा बल्कि नहरों को भी जरूरत के समय पानी मिल सकेगा।