उच्च न्यायालय ने जीडीए के तथ्यों के साथ प्रस्तुत आरोपों पर शासन से जवाब तलब किया है। प्रकरण की सुनवाई अब अगले सप्ताह होगी। न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति एके जोशी की युगलपीठ के समक्ष जीडीए की ओर से बताया गया कि कहां कौन सी अवैध खदान चल रही है। वहीं याचिकाकर्ता अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने न्यायालय को बताया कि खनन माफिया एवं अधिकारियों की सांठ-गांठ के चलते ग्वालियर के आस-पास अवैध रूप से गिट्टी के क्रेशर चल रहे हैं। इस कारण शहर में प्रदूषण बढ़ रहा है।
इस कारण जीडीए की करोड़ो रुपए की आवासीय योजनाएं सफल नहीं हो पा रही हैं। जीडीए द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया कि सर्वे क्रमांक 416,417, 418, 419, 420,360, 361, 362, 363, 364 तथा 365 जो कि मऊ जमाहर तथा शताब्दीपुरम में स्थित है, जीडीए द्वारा नोटिफाइड आवासीय क्षेत्र हैं।
जीडीए की आपत्ति के चलते उक्त क्षेत्र में खदानों की लीज का नवीनीकरण नहीं हुआ है। बावजूद इसके कई क्रेशर अवैध रूप से चल रहे हैं। जीडीए ने इस संबंध में फोटोग्राफ एवं सीडी भी न्यायालय में प्रस्तुत की है।
इनकी लीज का नवीनीकरण न किया जाए
जीडीए द्वारा बताया गया कि कलेक्टर को 5 सितंबर 17 को लिखित में सूचना दी गई की मैसर्स श्रीराम निवास शर्मा, मैसर्स अमर स्टोन क्रेशर, ब्रजेश शर्मा, मैसर्स अमरदीप क्रेशर तथा मैसर्स श्रेयद्वीप स्टोन क्रेशर की लीजों का नवीनीकरण न किया जाए। न्यायालय ने इसे गंभीर मामला मानते हुए शासन से जवाब तलब किया है।
सबसे प्रदूषित शहर की रिपोर्ट पर याचिका
यह याचिका एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया द्वारा डब्ल्यूएचओ की ग्वालियर को सबसे प्रदूषित शहर बताने वाली रिपोर्ट पर प्रस्तुत की गई है, जिसमें कहा गया है कि शहर के आस-पास अवैध रूप से की गई पेड़ों की कटाई, अवैध क्रेशर व खदानें तथा शहर में धुआ फैला रहे टेंपों जिम्मेदार हैं।