शहर में वर्ष 2012 से वाटर हार्वेस्टिंग कराने के लिए निगम द्वारा भवन स्वामियों से भवन के आकार के अनुसार शुल्क वसूला जाता है। वाटर हार्वेस्टिंग कराने का प्रमाण पत्र नगर निगम में जमा करने के बाद यह राशि वापस कर दी जाती है। शहर के 2700 भवन स्वामियों ने 2 करोड़ 78 लाख 54 हजार 400 रुपए की राशि जमा कराई, लेकिन इनमें से किसी ने भी वाटर हार्वेस्टिंग नहीं कराई। निगम ने भी इन लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की।
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हाईकोर्ट ने दिए हैं निर्देश
हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि सभी सरकारी भवनों में अनिवार्य रूप से वाटर हार्वेस्टिंग की जाए, साथ ही सभी निजी भवनों में भी वाटर हार्वेस्टिंग हो। लेकिन नगर निगम ने इसे लेकर कोई प्लानिंग नहीं की। जिसके कारण घरों में वाटर हार्वेस्टिंग के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है, इसलिए बारिश का पूरा पानी बह गया।
अधिकतम 15 हजार शुल्क
निगम द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग के लिए लिए जाने वाले शुल्क में न्यूनतम 7 हजार व अधिकतम 15 हजार रुपये जमा कराए जाते हैं। 2013-14 में 541 भवन स्वामियों से 5890000, 2014-15 में 531 से 5604000, 2015-16 में 342 से 3479400, 2016-17 में 395 से 4203000, 2017-18 में 438 से 4410000, 2018-19 में 374 से 4268000 राशि जमा की गई। 2012 से अभी तक 2621 भवन स्वामियों ने 2 करोड़ 78 लाख 54 हजार रुपये जमा किये हैं।
कॉलोनाइजरों पर कार्रवाई नहीं
शहर में ऐसी कई कॉलोनियां हैं, जहां बिल्डरों ने भवन तो बना दिए, लेकिन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं कराई। नगर निगम द्वारा इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि इन सभी कॉलोनियों में बोरिंग करा दी गई है, जिससे रोजाना जमीन से पानी तो निकाला जा रहा है, लेकिन इसे रिचार्ज करने की कोई व्यवस्था नहीं है।
सूची तैयार करने कहा है
शहर में शारदा बाल ग्राम और सिरोल पहाड़ी पर हमने वाटर हार्वेस्टिंग के लिए टेंच खोदी है, जिससे करोड़ों लीटर पानी जमीन के अंदर जाएगा। जहां तक घरों की बात है सभी क्षेत्र अधिकारियों को सूची तैयार करने को कहा है। इसके लिए प्लान तैयार कर रहे हैं।
संदीप माकिन, कमिश्नर नगर निगम