महापौर के पद पर नियुक्ति में देरी को लेकर शासन को 14 तक अपना जवाब पेश करना है। इस मामले में 14 अक्टूबर को सुनवाई होना है इसलिए यह तय है 14 से पहले ही महापौर का नाम सामने आ जाएगा।
जो नाम सामने आएं हैं उन नामों में विरोध के भी अपने-अपने कारण हैं। जिन नेताओं को जिम्मेदारी दी थी वे भी अपने-अपने नामों के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए प्रभारी मंत्री व अन्य मंत्रियों से भी संपर्क किया गया है। तीन बार के पार्षद कृष्णराव दीक्षित का नाम आने पर जो लोग उन्हें नहीं चाहते वे उनकी शिकायतें करा रहे हैं। वहीं हरी पाल के नाम पर तीन जनप्रतिनिधि दम लगा रहे हैं। चूंकि यह पद सामान्य वर्ग के लिए है इसलिए सभी नेता इस पद को सामान्य वर्ग को ही दिए जाने की वकालत कर रहे हैं। संगठन में पदाधिकारी राजेश भदौरिया के नाम की सिफारिश कर रहे हैं। दो दावेदारों की आपराधिक कुंडली खंगाल कर उनकी शिकायत भी कर दी है। इन शिकायतों का क्या असर होगा यह तो महापौर पद पर नाम की घोषणा के बाद ही पता चलेगा।