-सबसे ज्यादा प्रेशर शिंदे की छावनी,नई सडक़, एबी रोड, रॉक्सी टॉकीज और छप्पर वाले पुल
मानक से अधिक शहर में ध्वनि प्रदूषण, बहरे और चिड़चिड़े हो रहे लोग,मानक से अधिक शहर में ध्वनि प्रदूषण, बहरे और चिड़चिड़े हो रहे लोग,मानक से अधिक शहर में ध्वनि प्रदूषण, बहरे और चिड़चिड़े हो रहे लोग
ग्वालियर। बैंड, बाजा, बारात और शादियों के शोर का मौसम शुरू हो गया है। ऐसे में अब शदियों में डीजे के साथ ही बारात में बीच सडक़ पर काफी तेज डीजे बजाने व वाहनों के आवागमन से शोर अधिक मच रहा है। इनसे ध्वनि प्रदूषण अब और अधिक तेजी से बढ़ते हुए खतरनाक लेवल पर पहुंच रहा है। अभी शिंदे की छावनी, नई सडक़, एबी रोड, रॉक्सी टॉकीज, छप्पर वाले पुल, फूलबाग, थाटीपुर चौराह व सिटी सेंटर क्षेत्र में सुबह ध्वनि प्रदूषण 58 डेसीबल और रात में 73 डेसीबल से अधिक हैं। इसलिए इन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोग अधिक चिड़चिड़े हो रहे हैं और बहरेपन, सिरदर्द व नीद नहीं आने की शिकायत लेकर हर दिन अस्पताल भी पहुंच रहे हैं।
हर दिन पहुंच रहे 200 से अधिक लोग शहर के जेएएच अस्पताल, सिविल अस्पताल हजीरा व मुरार जिला अस्पताल सहित निजी अस्पताल में हर दिन 200 से अधिक लोग बहरेपन, नींद नहीं आने, सिरदर्द व चिड़चिड़ेपन की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। इनमें सबसे अधिक एबी रोड, शिंदे की छावनी, नई सडक़,रॉक्सी टॉकीज, छप्पर वाले पुल, फूलबाग, थाटीपुर चौराह, सिटी सेंटर, महराज बाडा व किलागेट क्षेत्र के हैं।
एबी रोड, नई सडक़ व छप्पर पुल पर ज्यादा परेशानी नई सडक़ व एबी रोड से हर दिन हजारों वाहन सुबह चार बजे से रात्रि 3 बजे तक लक्ष्मीगंज स्थित मंडी के लिए आते-जाते रहते हैं। यहां वाहनों का प्रेशर अधिक बढऩे से हमेशा असहनीय शोर हो रहा है। यही हाल छप्पर वाले पुल, किला गेट,नाकाचंद्रबदनी व मुरार में भी देखा है।
कहां-कितना होना चाहिए ध्वानि प्रदूषण स्थान दिन रात औद्योगिक क्षेत्र 75 70 व्यावसायिक 65 55 आवासीय क्षेत्र 55 45 शांत क्षेत्र 50 40 ध्वनि प्रदूषण -एबी रोड-73 -नई सडक़-68 -छप्पर वाले पुल-70 -रॉक्सी टॉकीज-59 -महाराज बाड़ा-71 किससे कब-कितना डेसीबल होता है शोर
हॉन प्रेशर अधिक : बसों, टैम्पू और वाहनों के हॉर्न प्रेशर काफी तेज होते हैं। एबी रोड, शिंदे की छावनी, नई सडक़,रॉक्सी टॉकीज, छप्पर वाले पुल, फूलबाग, थाटीपुर चौराह, सिटी सेंटर व किलागेट क्षेत्र में वाहनों का आवागमन अधिक होने से ध्वनि प्रदूषण ज्यादा होता है।
“यहां से हर दिन 24 घंटे काफी संख्या में वाहन गुजरते रहते है। इन वाहनों के चलते हमें कम सुनाई देने लगा है। ध्वनि प्रदूषण अधिक होने से यहां रहने वाले लोग भी चिड़चिड़े व बहरेपन का शिकार हो रहे हैं।” लक्ष्मण सिंह, एबी रोड गोलपहाडिय़ा
“शहर में वाहनों के आवागमन अधिक होने व हॉर्न प्रेशर ज्यादा होने से ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। जेएएच में अब सिरदर्द, बहरेपन, कम सुनाई देने व चिड़चिड़े होने के मरीजों की संख्या अधिक बढ़ी है। ध्वनि प्रदूषण रोकने लिए वाहनों का कम प्रयोग करें।” डॉ अमित जैन, ईएनटी जेएएच
“शहर में वाहनों की संख्या अधिक होने से ध्वनि प्रदूषण काफी बढ़ रहा है। हम ध्वनि प्रदूषण की रिपोर्ट शासन को भेज चुके हैं। अब ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए पुलिस व जिला प्रशासन व नगर निगम को संयुक्त रूप से काम करना चाहिए। पब्लिक को पौधे अधिक लगाना चाहिए और हॉर्न का कम ही प्रयोग करना चाहिए।” ऋषिराज सिंह सेंगर, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड