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ग्वालियर

GWALIOR TRADE FAIR 2018: सुविधाविहीन मेले में नहीं आ रहे दुकानदार, कैसे लगेंगी दो दिन में दुकानें

देश विदेशों में ग्वालियर की पहचान के रूप में विख्यात ग्वालियर व्यापार मेला आज अपने मूल स्वरूप को खोता जा रहा है।

ग्वालियरJan 09, 2018 / 03:39 pm

Gaurav Sen

gwalior news

ग्वालियर। देश विदेशों में ग्वालियर की पहचान के रूप में विख्यात ग्वालियर व्यापार मेला आज अपने मूल स्वरूप को खोता जा रहा है। मेले में सुविधाओं के अभाव के चलते देश के अन्य राज्यों से आने वाले दुकानदार व व्यापारी भी मेले में नहीं आ रहे हैं। ग्वालियर व्यापार मेला तकरीबन 105 साल पुराना है। 104 एकड़ भूमि में फैले इस मेले में तकरीबन छोटे बड़े 5000 मंडप बनाए गए थे।

 

जिनमें व्यापारी व्यापार के लिए आता था। वर्तमान में इनकी संख्या घटकर महज 2000 दुकानों की ही रह गयी हैं। जिसमें से लगभग 30 प्रतिशत दुकानें अभी खाली पड़ी हुई हैं। जिसका एक बड़ा कारण प्राधिकरण की लापरवाही के चलते फैली अव्यवस्थाएं हैं। जिनके चलते दुकानदार व्यापार के लिए नहीं आना चाहते हैं। वहीं यदि पिछले साल की बात करें तो अब तक महज ५ प्रतिशत दुकानें ही खाली बची थी।

प्राधिकरण ने अधिसूचना में कहा है कि जिन दुकानदारों ने मेले में अब तक दुकानों का काम शुरू नहीं किया है। उनके आंबटन दो दिन बाद निरस्त कर दिए जाएंगे। मेले में अबतक बड़े शोरूम नहीं लगे हैं। जिन्होंने दुकाने तो आबंटित की हैं लेकिन अभी तक दुकानों को सजाने का कामतक चालू नहीं किया है। ऐसे में महज दो दिन के अंदर 2० प्रतिशत दुकानें किस तरह भरेंगी ये एक बड़ा सवाल है। सैलानियों का मोह भी मेले से भंग होता जा रहा है। कुछ दुकानदार तो इसलिए भी दुकान खाली किए हुए हैं कि उन्हें कोई अन्य किराएदार नहीं मिल रहा है।

टॉयलेट पर जीएसटी के बाद भी असुविधा
मेला प्राधिकरण द्वारा शौचालयों व स्वच्छता के नाम पर दुकानदारों से 300 रुपए एवं जीएसटी के लिए ५४ रूपए अलग से लिए जा रहे हैं उसके बाद भी शौचालयों की सफाई तो दूर पानी तक की व्यवस्था नहीं हैं। दुकानदारों का कहना है कि ब्लॉकों में सफाई न होने के कारण दिनभर दुर्गंध आती रहती है। जिसकी वजह से दुकान पर बैठना भी मुश्किल हो गया है। सैलानी भी दुकानों पर रुकना पंसद नहीं कर रहे हैं। वहीं तकरीबन १० से १२ ब्लॉक में से तो शौचालय हटा दिए गए हैं।

मेले का एक स्वरूप व्यापार तो दूसरा स्वरूप सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ करते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से लगातार बड़े कार्यक्रमों से मेले के मंच की दूरी बड़ती जा रही है। बड़े कलाकारों से तो मेले के मंच का साझापन कहीं खो सा गया है। इस विषय में जिम्मेदारों का कहना है कि बजट के चलते बड़े कलाकारों को बुलाने में असमर्थता हो रही है। क्योंकि पहले इन कलाकारों की फीस भी कम हुआ करती थी। लेकिन अब फीस ज्यादा लग रही है।

 

नहीं है कोई सुविधा
हम हर साल आते हैं इस बार मेले में किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं है। वहीं ब्लाकों की सफाई नहीं की गई है। जिनसे भयंकर दुर्गंध के चलते ग्राहक भी दुकान पर खड़े नहीं हो रहे हैं।
शंकरलाल, व्यापारी मेरठ


दुकानदारी करें या चौकीदारी
स्वच्छता के लिए हमने डस्टबिन भी रखे हैं फिर भी यदि लोग दुकान के सामने कचरा फैंकते हैं तो उसके लिए दुकानदार से जुर्माना वसूला जा रहा है। 200 से लेकर 1500 रूपए जुर्माने का प्रावधान है अब हम दुकान चलाए या दिन भर चौकीदारी करें।
शुभम, व्यापारी, ग्वालियर


स्वच्छता का काम चालू है
मेले में जिन दुकानदारों ने अब तक दुकानों पर काम शुरू नहीं किया है उन्हें नोटिस भेज दिए गए हैं। दो दिनों में यदि कब्जा नहीं दर्शाया गया तो उनके आवंटन निरस्त कर दिए जाएंगे। शौचालय के लिए शुलभ शौचालयों की व्यवस्था की गई है। व्यापारी उनका प्रयोग कर सकते हैं। मेले में स्वच्छता का काम अभी चालू है।
शेलेंद्र मिश्रा, सचिव, मेला प्राधिकरण सचिव

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