ठगी के बाद जो पैसा आता है उसे वॉलेट में मंगा लेते हैं। इसके बाद तुरंत ही इससे वो शॉपिंग कर लेते हैं क्योंकि अगर ८ घंटे के भीतर पुलिस चाहे तो उसे रोक सकती है। जबकि पहले खाते में पैसा जाता था तो संबंधित तक पुलिस को पहुंचने के लिए एक रास्ता होता था लेकिन अब एेसा नहीं है। पुलिस भी इन ठगों तक पहुंचने में पूरी तरह से नाकाम है।
केस -1 तानसेन नगर निवासी मनोज गुप्ता के मोबाइल ९८२६२६६३६० पर फोन आया, कॉल करने वाले ने खुद को साइन.कॉम कंपनी का एग्जीक्यूटिव बताया और १० रुपए में कंपनी की साइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा। रजिस्ट्रेशन के बाद उसने कई जगहों से नौकरी के ऑफर आने की बात कही। इस पर गुप्ता ने साइट पर जाकर उसके बताए अनुसार ऑनलाइन १० रुपए का ट्रांजेक्शन पत्नी हेमलता के क्रेडिट कार्ड से किया, लेकिन अकाउंट से ९९९९ रुपए कट गए। गुप्ता ने इस पर कंपनी के एग्जीक्यूटिव को फोन कर कहा तो उसने कहा कि वो रुपए वापस कर रहे हैं। एग्जीक्यूटिव ने मनोज से कहा कि आपके मोबाइल पर एक ओटीपी आया है, उसे बता दीजिए, आपके रुपए वापस आ जाएंगे। जैसे ही मनोज ने ओटीपी बताया दस हजार रुपए का ट्रांजेक्शन और हो गया। इसके बाद जब उन्होंने उसी नंबर पर कॉल किया तो सामने वाले ने मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया। मनोज ने बैंक में जाकर पता किया तो वहां मैनेजर ने बताया कि क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन इ-वॉलेट में किया गया है। उन्होंने पुलिस से भी इसकी शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
केस -2 हजीरा निवासी महेन्द्र कुमार के पास बीमा कंपनी के नाम से कॉल आया। कंपनी के एग्जीक्यूटिव ने 50 रुपए में 10 करोड़ का बीमा करने की बात कही। एग्जीक्यूटिव ने उससे कार्ड के जरिए 50 रुपए का ट्रांजेक्शन करवाया लेकिन ट्रांजेक्शन 10 हजार रुपए का हुआ। इस पर महेन्द्र ने कॉल किया तो एग्जीक्यूटिव ने कहा कि वो रुपए वापस कर रहा है मोबाइल पर जो आेटीपी है उसे बता दे। महेन्द्र ने पैसा वापस आने की बात पर ओटीपी बता दिया लेकिन तभी फिर से खाते से 10 हजार रुपए निकलने का मैसेज आया। इसके बाद जब उसने एग्जीक्यूटिव बताने वाले के नंबर पर कॉल किया तो उसने फोन स्विच ऑफ कर लिया। बैंक से महेन्द्र ने जानकारी ली तो पैसे का ट्रांजेक्शन ई वॉलेट में किया गया था।
केस-3 मुरार निवासी महेश शाक्य को सर्वे कंपनी के नाम पर कॉल आया और बाद में 10 रुपए में 1 लाख रुपए का इनामी कूपन देने का झांसा देकर 10 हजार रुपए खाते से निकल गए। जब महेश ने संबंधित नंबर पर कॉल किया तो सर्वे कंपनी के कर्मचारी ने ओटीपी नंबर बताने को कहा महेश ने नंबर बता दिया लेकिन उसके पैसे नहीं आए। बाद में जब महेश ने संबंधित नंबर पर कॉल किया तो वह बंद मिला। दरअसल महेश के खाते में सिर्फ 1 हजार रुपए ही थे इसलिए उसके खाते से और रुपए जाने से बच गए। जब वह बैंक मैनेजर के पास पहुंचा तो उन्होंने बताया कि खाते से पैसे ई वॉलेट में ट्रांसफर किए गए हैं।
ये बोले अधिकारी – एटीएम कार्ड या क्रेडिट से ठगी करने वाले अब पैसा अकाउंट में न मंगाते हुए वॉलेट में मंगा रहे हैं। एेसे लोगों तक कैसे पहुंचते हैं।
हां ठगी हाईटेक हो गए हैं और उन्होंने टेक्नालॉजी का उपयोग कर एक नया ही रास्ता निकाल लिया है। वो इतने शातिर तरीके से कार्य करते हैं कि उन तक पहुंचना बहुत मुश्किल है।
– ई वॉलेट में जो पैसा ट्रांसफर किया जाता है क्या उसे रोका नहीं जा सकता।
वॉलेट में पैसा जो आता है उसके जरिए ठग शॉपिंग या फिर किसी दूसरे वॉलेट में ट्रांसफर कर लेते हैं। अगर पैसा वॉलेट में ही है और समय पर पता चल जाए तो उसे रोका जा सकता है और पैसा भी रिफंड हो जाता है।लेकिन इसके लिए 8 घंटे की समय सीमा निर्धारित है। इसके बाद पैसा को रोक नहीं सकते।
-मिर्जा आसिफ बेग, साइबर सेल प्रभारी
हां ठगी हाईटेक हो गए हैं और उन्होंने टेक्नालॉजी का उपयोग कर एक नया ही रास्ता निकाल लिया है। वो इतने शातिर तरीके से कार्य करते हैं कि उन तक पहुंचना बहुत मुश्किल है।
– ई वॉलेट में जो पैसा ट्रांसफर किया जाता है क्या उसे रोका नहीं जा सकता।
वॉलेट में पैसा जो आता है उसके जरिए ठग शॉपिंग या फिर किसी दूसरे वॉलेट में ट्रांसफर कर लेते हैं। अगर पैसा वॉलेट में ही है और समय पर पता चल जाए तो उसे रोका जा सकता है और पैसा भी रिफंड हो जाता है।लेकिन इसके लिए 8 घंटे की समय सीमा निर्धारित है। इसके बाद पैसा को रोक नहीं सकते।
-मिर्जा आसिफ बेग, साइबर सेल प्रभारी