कस्टमर केयर के नाम पर हैकिंग एक्सपर्ट के अनुसार ओटीपी के जरिए ठगी का तरीका अब पुराना हो चुका है। कस्टमर ऑनलाइन शॉपिंग या रिचार्ज करता है। ऑर्डर रिफंड करने, माल खराब निकलने या रिचार्ज फेल होने पर कस्टमर ऑनलाइन सर्च कर टोल-फ्री नम्बर सर्च करता है। सायबर हैकर्स इस तरह कोडिंग करते हैं कि कंपनी के नाम पर तैयार फर्जी वेबसाइट्स सर्च में ऊपर शो होने लगती है। कस्टमर कंपनी की वेबसाइट समझकर मदद लेता है। हैकर यूपीआई लिंक भेजकर कस्टमर से ओटीपी ले लेता है। ऐसे में वॉलेट उसके कब्जे में आ जाता है।
स्टूडेंट्स व बिजनेसमैन टारगेट पर मोबाइल फोन पर नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करने वाले कस्टमर्स को कोई भी नया एप इंस्टॉल करते वक्त सावधान रहना चाहिए। बिजनेसमैन और कॉलेज गोइंग स्टूडेंट्स मोबाइल से लैपटॉप/कम्प्युटर या कम्प्युटर से मोबाइल एक्सीस करते समय एनीडेस्क का यूज करते हैं। ऐसे कई एप्स को इंस्टॉल करते ही 9 अंकों का यूपीआई कोड जनरेट होता है। हैकर्स ये कोड यूजर से ले लेते हैं। यूजर के नेट बैंकिंग का यूज करते ही पासवर्ड और एकाउंट्स की सारी डिटेल उन तक पहुंच जाती है।
देश में हो रही घटनाओं के बाद सायबर सेल कॉलेज गोइंड स्टूडेंट्स और बिजनेसमैन को सेमिनार के जरिए अलर्ट किया जा रहा है। आमजन को चाहिए कि वह इस तरह के एप को बिल्कुल न खोलें और सावधान रहें।
सुधीर अग्रवाल, एसपी, राज्य साइबर सेल ग्वालियर