शाम की चाय होती थी साथ
मेरे पिता डॉ. विश्वनाथ घोड़के और मेरे दोस्त विक्की के पिता लक्ष्मण दास डवानी घनिष्ठ मित्र थे। उनकी दोस्ती पड़ोस में रहने के कारण हुई। वह सुबह कितना भी काम में बिजी रहें, लेकिन शाम की चाय उनकी साथ में ही होती थी। उस समय हम छोटे थे और यह सब देखा करते थे। घर आने जाने के कारण मेरी और विक्की की दोस्ती हुई। विक्की का मेडिकल स्टोर है और चिकित्सक हूं। लेकिन जब साथ बैठते हैं, तो केवल एक फ्रेंड की तरह। अपने पिताजी की तरह ही हमारा दोस्ताना भी जग जाहिर है। अब हमारे बच्चे भी आपस में दोस्त हैं।
डॉ. प्रदीप घोड़के, सोशल वर्कर
पिताजी के समय से थे फैमिली टम्र्स
मेरे पिता भगवानदास जी का लोहामंडी में लोहे का काम था और मेरे दोस्त राजेन्द्र के पिता बृजकिशोर का कपड़े का बिजनेस था। दोनों बिजनेस के काम से साथ जाया करते थे। धीरे-धीरे उनकी दोस्ती काफी बढ़ गई। उनका और मेरे पिता की फैमिली का आना जाना हो गया। तभी मेरी राजेन्द्र से मुलाकात हुई और हम अच्छे दोस्त बन गए। जब कभी भी मैं बाहर टूर पर जाता हूं। राजेन्द्र साथ होता है। इसी तरह मेरे बेटे आशीष और पवन भी अच्छे दोस्त हैं। उनकी पार्टी, घूमना-फिरना साथ होता है।
राम किशन सिंघल, बिजनेसमैन
हमने साथ कराया बच्चों का एडमिशन
मैं और मेरा दोस्त विमल जैन साथ गोरखी स्कूल में पढ़े। हमने एमएलबी कॉलेज और फिर माधव कॉलेज में भी साथ ही एडमिशन लिया। इसके बाद बिजनेस करने का प्लान बनाया। हम दोनों की फैमिली के बीच फ्रेंडशिप थी। इस बीच आना-जाना लगा रहता था। हम दोनों ने अपने बेटों का एडमिशन भी किडीज कॉर्नर में कराया। आज मेरा बेटा रवि और विमल का बेटा अभिषेक बहुत अच्छे दोस्त हैं।
पुरषोत्तम जैन, बिजनेसमैन