2011 की जनगणना के समय हरियाणा का बीबीपुर गांव सबसे कम लिंगानुपात वाला गांव था। भारत में एक हजार बेटों पर 918 बेटियां थीं तो बीबीपुर गांव मेंं 59 लडक़ों पर सिर्फ 37 लड़कियां थीं। जबकि 2001 से 2010 तक यहां शिशु लिंगानुपात 970 रहा था। ग्वालियर-चंबल अंचल में बालिकाओं के प्रति सकारात्मक सोच न होने से लिंगानुपात में अंतर है। इस अंतर को खत्म करने के लिए बीबीपुर मॉडल कारगर सिद्ध हो सकता है।
ऐसे आया बदलाव
सुनील जागलन ने 2012 में सरपंच बन बेटी बचाने का काम शुरू किया। पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के लिए सभी बालिकाओं को पंचायत के खर्च पर किताबें दी गईं। महिलाओं को एकत्रित कर घरेलू ङ्क्षहसा, ***** आधारित हिंसा पर बात की।
खाप पंचायत, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल में जाकर कन्याओं की महत्ता को बताया। अलग-अलग समुदाय के साथ बैठकर बात की। स्थानीय भाषा में नुक्कड़ नाटक, प्रचार, रात में बैठकें और दिन में प्रभावशाली लोगों से मुलाकात कर अभियान की जरूरत को समझाया। अंतत: संयुक्त खाप पंचायत ने कन्या भ्रूण हत्या पर प्रतिबंध लगा दिया।
तंज से मिली प्रेरणा
जब बेटी ने जन्म लिया तो उनके समुदाय, गांव सहित आसपास के गांवों में तंज कसना शुरू कर दिया था। बेटियों को लेकर कसा जाने वाला तंज ‘बेटी हुई है’ सुनील जागलन के लिए प्रेरणा बन गए। उच्च पद और अच्छा खासा वेतन छोडकऱ सुनील ने बेटी बचाने के लिए काम शुरू कर दिया था। 2012 से शुरू किए इस काम में शुरुआती मुश्किलों के बाद अब उनके द्वारा दिया स्लोगन बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ भारत सरकार भी अडप्ट कर चुकी है।
टीम बनाकर रोकेंगे अपराध
यूएन वुमन की कंसल्टेंट वीणा का कहना है कि 18 वर्ष से अधिक उम्र की 14 करोड़ 58 लाख महिलाओं के साथ यौन उत्पीडऩ जैसा अपमानजनक व्यवहार हुआ है। एनसीआरबी के आंकड़े भी बताते हैं कि हर तीन में एक विवाहित महिला किसी न किसी प्रकार की घरेलू ङ्क्षहसा का अनुभव करती है।
1 जनवरी से 20 जून 2017 के बीच प्रदेश में बलात्कार की 2278 और सामूहिक बलात्कार की 131 घटनाएं हुईं हैं। इनमें सबसे ज्यादा 141 मामले बलात्कार और 5 सामूहिक बलात्कार के प्रकरण भोपाल में ही दर्ज किए गए। इन अपराधों पर लगाम लगाने के लिए महिलाओं की ही टीम बनाकर जागरुकता उत्पन्न की जाएगी।
इस तरह हो रहा काम
इस तरह बनेगा सुरक्षा कवच
अकेले कन्या भ्रूण हत्या पर काम न करके, हम बाल विवाह, क्राइम अगेंस्ट वुमन, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के अंतर्गत शिक्षा और स्वास्थ्य को भी शामिल कर रहे हैं। इस पूरे काम की प्लानिंग में ग्वालियर-चंबल रीजन पर फोकस रहेगा। बीबीपुर मॉडल को एक्सेप्ट कर काम किया जा सकता है।
सुरेश तोमर, संयुक्त संचालक-महिला बाल विकास-भोपाल
हम लैंगिक समानता और बालिका शिक्षा पर काम कर रहे हैं। स्मार्ट सिटी महिलाओं और बालिकाओं के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए अलग-अलग स्तर पर काम किया जा रहा है।
सीमा शर्मा, संयुक्त संचालक-महिला बाल विकास-ग्वालियर
सेफ सिटी कार्यक्रम प्रदेश के ग्वालियर सहित 6 अन्य शहरों में हम कर रहे हैं। ग्वालियर में विभागीय और सामुदायिक सहयोग से गतिविधियां आयोजित होंगीं। असुरक्षित क्षेत्रों का चिह्नांकन करके सैफ्टी ऑडिट किया जाएगा।
वीणा मैंडके, सलाहकार, यूएन-वुमन-भोपाल