नहीं दिया जाए लैपटॉप
कोर्ट ने अलमक्की को मुल्क वापस भेजने तक पड़ाव थाने की निगरानी में रखने के आदेश दिए थे। उस दौरान जिला विशेष शाखा ने पड़ाव पुलिस को आगाह किया था उससे बरामद लैपटॉप और मोबाइल फोन वापस जाने पर ही उसे लौटाया जाए लेकिन जिसका पालन नहीं किया गया।
पूरे थाने ने देखा, रोका क्यों नहीं
घुसपैठिए को नमाज अदा कराने ले जाने वाले आरक्षक से भी सवाल जवाब शुरू हो चुके हैं। सूत्रों का कहना है अलमक्की को नमाज के लिए ले जाने वाले आरक्षक विजय शंकर ने पूछताछ में दो टूक जवाब दिया है कि वह कई बार कह चुका था कि वह अकेला उसकी सुरक्षा नहीं कर सकता, मस्जिद से लौटते 10 बज जाते हैं उसके साथ किसी और आरक्षक को भी तैनात किया जाए। लेकिन किसी ने तवज्जो नहीं दी थी। हैडमोहर्रर रामभुवन सिंह ने पूछताछ में कहा, अलमक्की जो लैपटॉप इस्तेमाल कर रहा था वह कुछ दिन पहले ही इबादतगाह से लाया था। उसके पास आशीष शाक्य निवासी कंपू के नाम की सिम कैसे पहुंची रामभुवन इसका जवाब नहीं दे सके। उधर भोपाल से लेकर जोन में बैठे पुलिस अफसर इस सवाल का जवाब मांग रहे हैं कि घुसपैठिया इतनी छूट किसके आदेश से मिली थी। पूरा थाना उसकी करतूतें देखता था तो रोका क्यों नहीं लगाई गई।
घुसपैठिए को जेल से छूटने के बाद थाने में अलग जगह मुहैया कराने के बाद उसकी निगरानी नहीं की गई।
अलमक्की अपने देश, घर का पता नहीं बता रहा था पुलिस ने उसके इरादे नहीं भांपे। उससे दोस्ती क्यों गांठी।
इबादत के दौरान अलमक्की किन लोगों से संपर्क कर रहा है इस पर नजर क्यों नहीं रखी गई।
वह मॉल और बाजार में शॉपिंग करता रहा, उसके पास खर्च करने पैसा कहां से आ रहा है। पता क्यों नहीं किया गया।