अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया द्वारा हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका 6 अक्टूबर-2018 को प्रस्तुत की गई थी कि ग्वालियर चंबल संभाग में खनन माफिया के आगे शासन और प्रशासन नतमस्तक है इसलिए हर वर्ष किसी न किसी विभाग के अधिकारी माफिया के हाथों मौत के घाट उतार दिए जाते हैं। अब तक कुल 13 वन विभाग तथा पुलिस के अधिकारी माफिया के हाथों मारे गए, लेकिन खनन माफिया पर अंकुश न होने के चलते यह सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है इसलिए अभी तक मारे गए अधिकारियों की मौत की जांच सीबीआई से कराई जाए।
हाईकोर्ट द्वारा याचिका में दिनांक 29 फरवरी- 2020 को 17 सुझाव मध्यप्रदेश शासन को दिए थे और आदेश में कहा था कि 17 बिंदुओं पर अमल करके खनन माफिया पर अंकुश लगाया जाए, लेकिन शासन द्वारा हाईकोर्ट के एक भी सुझाव पर अमल नहीं किया गया, इसलिए याचिका को पुन: सुनवाई में लिया गया।
खनन माफिया के आगे प्रशासन पूरी तरह असफल
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता भदौरिया ने न्यायालय में तर्क दिया कि खनन माफिया के आगे शासन प्रशासन पूरी तरह से असफल है और इसी का नतीजा है कि चार फरवरी-21 को दतिया में खनन माफिया ने एक सिपाही को गोली मार दी। इस मामले में न्यायालय द्वारा सीजेएम मुरैना से भी रिपोर्ट तलब की गई सीजेएम मुरैना ने अपनी रिपोर्ट में कहाकि ग्वालियर चंबल संभाग में खनन माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिए शासन प्रशासन पूरी तरह से असफल है और दिनदहाड़े खनन माफिया खनन के कार्य में लगा हुआ है इसके बावजूद कलेक्टर मुरैना द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
न्यायालय द्वारा उक्त मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर मुरैना को आदेशित किया गया है कि सीजेएम की रिपोर्ट आने के बाद और न्यायालय द्वारा आदेश दिए जाने के बाद खनन माफियाओं की गतिविधियां रोकने के लिए आपके द्वारा क्या किया गया इसके संबंध में कलेक्टर मुरैना अपना एफिडेविट 2 सप्ताह में न्यायालय में प्रस्तुत करें, साथ ही याचिकाकर्ता से कहा गया कि दतिया में खनन माफिया द्वारा सिपाही को गोली मारने के संबंध में दस्तावेज भी न्यायालय में प्रस्तुत करें।