script

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पड़ रही भारी, मौत के बाद होती है सिर्फ औपचारिकता, इस मामले में भी यही हाल

locationग्वालियरPublished: Aug 03, 2018 07:10:38 pm

Submitted by:

Rahul rai

पिछले साल भी मोहना में ऐसे ही झोलाछाप की लापरवाही से एक बच्ची की मौत हो गई थी, तब भी विभाग ने कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की और आज भी स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने यही किया

health department

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पड़ रही भारी, मौत के बाद होती है सिर्फ औपचारिकता, इस मामले में भी यही हाल

ग्वालियर। फर्जी डॉक्टर के क्लीनिक में इलाज के दौरान बुधवार को 14 वर्षीय विक्की यादव की मौत इंजेक्शन के रिएक्शन से ही हुई थी, इसकी पुष्टि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में हुई है। रिपोर्ट में रिएक्शन से फेंफड़े फेल होने की संभावना जताई गई है। इसके लक्षण विक्की के ब्रेन और फेंफड़े में मिले हैं, इससे विक्की को सांस लेने में दिक्कत हुई और उसने दमतोड़ दिया।
फर्जी डॉक्टरों के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने घोर लापरवाही बरती है। पीएस ने पिछले साल ही झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए निर्देश दिए थे, लेकिन अधिकारियों ने केवल औपचारिकता कर इतिश्री कर ली, जिससे झोलाछाप डॉक्टरों के हौसले बुलंद रहे और वे बेखौफ मरीजों का इलाज कर जान के दुश्मन बने रहे।
पिछले साल भी मोहना में ऐसे ही झोलाछाप की लापरवाही से एक बच्ची की मौत हो गई थी, तब भी विभाग ने कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की और आज भी स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने यही किया, मौत शहर में हुई, लेकिन सीएमएचओ ग्रामीण इलाकों के क्लीनिकों पर कार्रवाई करते रहे।
सत्य नारायण का मोहल्ला घासमंडी निवासी स्व.नाहार सिंह यादव के पुत्र विक्की यादव को तेज बुखार होने पर किलागेट स्थित तानसेन टॉकीज के सामने महेश शर्मा की क्लीनिक पर इलाज के लिए लेकर पहुंचे थे। महेश शर्मा ने ग्लूकोज की दो बोतल और दो इंजेक्शन लगाए, उसके बाद उसकी तबियत बिगड़ गई तो परिजन उसे एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मौत शहर में हुई, कार्रवाई करने पहुंचे ग्रामीण क्षेत्र में
झोलाछाप के इलाज से शहर में किशोर की मौत हुई है, लेकिन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्रवाई के लिए ग्रामीण क्षेत्र में पहुंचे। उन्होंने आंतरी में कुशवाह क्लीनिक, बड़ की सराय में गौतम क्लीनिक और कछौआ में खान क्लीनिक बंद कराया।
अभियान में देरी
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह ने 15 नवम्बर 2017 से 31 दिसम्बर 2017 तक अभियान चलाकर कार्रवाई के निर्देश कलेक्टर और एसपी को दिए थे, लेकिन पांच दिसम्बर से अभियान चला और केवल 18 फर्जी डॉक्टरों तक अमला पहुंचा। 14 क्लीनिक सील किए।
केवल 18 के खिलाफ परिवाद पत्र
जुलाई 2017 में घाटीगांव मोहना में बच्ची की मौत के बाद 26 क्लीनिक सील किए गए। केवल 18 के खिलाफ विभाग परिवाद पत्र पेश किया। एफआइआर एक भी मामले में नहीं कराई।
छह साल में 16 गुना हुए
2011 में 180 अवैध क्लीनिक चिह्नित किए गए, अब इनकी संख्या करीब 3000 है। इनमें अधिकांश ऐसे हैं जिनके नाम पते तक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के पास नहीं हैं। विभाग चिह्नित 180 क्लीनिक को ही बंद नहीं करा सका।
पंजीकृत डॉक्टर के नाम से क्लीनिक
फर्जी डॉक्टर पंजीकृत डॉक्टर्स के नाम बोर्ड पर लगाकर क्लीनिक चला रहे हैं, इसकी आड़ में वह न केवल माइनर ऑपरेशन, बल्कि छोटे बच्चों का इलाज भी करते हैं। थाटीपुर क्षेत्र में कार्रवाई के दौरान इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं।
सर्वे रिपोर्ट मिलते ही करेंगे कार्रवाई
शहर में बिना पंजीयन संचालित क्लीनिकों की जानकारी के लिए सर्वे के निर्देश दिए हैं। सूची मिलते ही कार्रवाई करेंगे। इस मामले की बात है, गुरुवार को महेश शर्मा के क्लीनिक पर दबिश देने गए थे, लेकिन पुलिस ने उसका क्लीनिक पहले से ही सील कर रखा है। अब उस पर निगरानी रखी जाएगी।
डॉ.मृदुल सक्सेना, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

ट्रेंडिंग वीडियो