झोलाछाप के इलाज से शहर में किशोर की मौत हुई है, लेकिन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्रवाई के लिए ग्रामीण क्षेत्र में पहुंचे। उन्होंने आंतरी में कुशवाह क्लीनिक, बड़ की सराय में गौतम क्लीनिक और कछौआ में खान क्लीनिक बंद कराया।
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह ने 15 नवम्बर 2017 से 31 दिसम्बर 2017 तक अभियान चलाकर कार्रवाई के निर्देश कलेक्टर और एसपी को दिए थे, लेकिन पांच दिसम्बर से अभियान चला और केवल 18 फर्जी डॉक्टरों तक अमला पहुंचा। 14 क्लीनिक सील किए।
जुलाई 2017 में घाटीगांव मोहना में बच्ची की मौत के बाद 26 क्लीनिक सील किए गए। केवल 18 के खिलाफ विभाग परिवाद पत्र पेश किया। एफआइआर एक भी मामले में नहीं कराई।
2011 में 180 अवैध क्लीनिक चिह्नित किए गए, अब इनकी संख्या करीब 3000 है। इनमें अधिकांश ऐसे हैं जिनके नाम पते तक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के पास नहीं हैं। विभाग चिह्नित 180 क्लीनिक को ही बंद नहीं करा सका।
फर्जी डॉक्टर पंजीकृत डॉक्टर्स के नाम बोर्ड पर लगाकर क्लीनिक चला रहे हैं, इसकी आड़ में वह न केवल माइनर ऑपरेशन, बल्कि छोटे बच्चों का इलाज भी करते हैं। थाटीपुर क्षेत्र में कार्रवाई के दौरान इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं।
शहर में बिना पंजीयन संचालित क्लीनिकों की जानकारी के लिए सर्वे के निर्देश दिए हैं। सूची मिलते ही कार्रवाई करेंगे। इस मामले की बात है, गुरुवार को महेश शर्मा के क्लीनिक पर दबिश देने गए थे, लेकिन पुलिस ने उसका क्लीनिक पहले से ही सील कर रखा है। अब उस पर निगरानी रखी जाएगी।
डॉ.मृदुल सक्सेना, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी