इस मामले की सुनवाई के दौरान सुबह जब न्यायालय ने एडवोकेट अग्रवाल से पूछा कि नायब तहसीलदार न्यायालय में मौजूद क्यों नहीं है। इस पर अग्रवाल ने तभी अपनी जेब से फोन निकाला और एेसा लगा कि वे नायब तहसीलदार को फोन लगा रहे हैं। तब न्यायालय के निर्देश पर अधिवक्ता के फोन को जब्त कर लिया गया। न्यायालय ने कहा कि न्यायालय में इस प्रकार के व्यवहार की उम्मीद नहीं की जा सकती। अगर अवमानना करने वाले नायब तहसीलदार आरएन खरे न्यायालय में उपस्थित नहीं है तो अधिवक्ता उन्हें बुलाने के लिए अनुमति लेकर बाहर जा सकते थे। न्यायालय ने मोबाइल को प्रिंसिपल रजिस्ट्रार को भेजते हुए नियमानुसार कार्यवाही के निर्देश दिए।