न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा ने मीसा बंदियों को यह अंतरिम राहत देते हुए इस मामले को भी मीसा बंदियों की पेंशन से संबंधित अन्य मामलों के साथ सुनवाई के लिए रखे जाने के निर्देश भी दिए हैं। मीसा बंदी सीताराम बघेल व अन्य द्वारा यह याचिका एडवोकेट सीपी सिंह के माध्यम से शासन द्वारा 29 दिसंबर 2018 को शासन द्वारा मीसा बंदियों को दी जा रही पेंशन को रोके जाने के आदेश को चुनौती देते हुए पेश की गई है। राज्य शासन द्वारा प्रत्येक मीसा बंदी को प्रति माह 25 हजार रुपए की पेंशन दी जा रही थी।
कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद पेंशन यह कहते हुए रोक दी गई थी कि पेंशन देने में गड़बड़ी हुई है। इस कारण कई अपात्रों को भी पेंशन दी जा रही है जो कि जेल नहीं गए थे। उच्च न्यायालय द्वारा जारी नोटिस पर सरकार ने सभी मीसा बंदियों के दस्तावेजों की जांच के बाद पात्र मीसा बंदियों को पेंशन देने की बात कही थी। शासन का न्यायालय में कहना था कि मीसाबंदियों के दस्तावेजों की जांच के कारण जनवरी 2019 से याचिकाकर्ता पेंशनधारियों की पेंशन रोक दी गई थी। न्यायालय ने सत्यापन के आधार पर पेंशन चालू करने के आदेश दिए हैं।
न्यायालय के आदेश के बाद 40 की पेंशन चालू
इससे पूर्व मीसा बंदी मदनलाल बाथम द्वारा प्रस्तुत याचिका पर उन्हें पेंशन दिए जाने के आदेश दिए गए थे। इस आदेश के बाद शासन ने 40 मीसा बंदियों की पेंशन उनके दस्तावेजों के सत्यापन के आधार पर चालू कर दी थी। इस आदेश के बाद भानूप्रकाश जैन सहित 15 अन्य मीसा बंदियों ने याचिका पेश की थी इसमें भी न्यायालय ने सभी याचिकाकर्ताओं को पेंशन दिए जाने के आदेश दिए थे। न्यायालय के आदेश के बाद भी इन मीसा बंदियों की पेंशन चालू नहीं हुई है। इसी प्रकार ज्ञान प्रकाश गर्ग व अन्य द्वारा भी याचिका प्रस्तुत की गई थी इसमें भी 15 लोगों को पेंशन देने के आदेश न्यायालय ने दिए थे जिसमें केवल तीन लोगों की पेंशन चालू हुई है।
इन मीसा बंदियों ने पेश की है याचिका
याचिका प्रस्तुत करने वालों में सीताराम बघेल के अलावा रामप्रकाश अग्रवाल, रामकिशन, जगदीश प्रसाद शर्मा, विजय कुमार शर्मा, डालचंद बमोरिया, करेउसेज जाटव, सुरेश चन्द्र चौरसिया, सतीश जैन, श्याम कुमार दिसेजा, देवकीनंदन अरोरा, जगदीश यादव, पातीराम आर्य, महेश चन्द्र व्यास, विजयरानी सोलंकी शामिल है।
अवमानना का नोटिस
उच्च न्यायालय द्वारा मीसा बंदी मोहन विटवेकर के मामले में दिए गए पेंशन चालू करने के आदेश के बाद भी पेंशन चालू नहीं होने पर राज्य शासन को अवमानना का नोटिस जारी किया है।
जिन मीसा बंदियों की पेंशन चालू नहीं हो सकी उच्च न्यायालय के आदेश के पालन में उन सभी 58 मीसा बंदियों की सम्मान निधि तत्काल चालू की जाना चाहिए।
मदन बाथम, संयुक्त सचिव राष्ट्रीय लोक सेनानी संघ