न्यायमूर्ति जीएस अहलुवालिया ने बुधवार को जमानत के एक मामले में यह नाराजगी जताई। न्यायालय ने एसपी को निर्देश दिए कि उन्होंने इस मामले में क्या कदम उठाए हैं अगली सुनवाई तक रिपोर्ट पेश करें। उन्होंने कहा कि आप लोग प्रकरण की जांच करते हैं और आरोपी हमारे पास जमानत के लिए आता है आपके तथ्यों के आधार पर हम जमानत आवेदन को खारिज कर देते हैं। इस पर आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आरोपी को गिरफ्तार करें। एेसा होने पर समाज में भी अच्छा संदेश जाता है। हम आपकी इज्जत करते हैं, लेकिन इसे बचाये रखना भी आपका काम है।
न्यायालय ने कहा कि शहर में कभी फरियादी के साथ मारपीट हो रही है, तो कभी फरियादी की सुनी नहीं जाती है तो वह आत्महत्या कर लेता है। महिला की फरियाद नहीं सुनी जाती है। आपके अधीनस्थ आपके मुखिया को ही नहीं जानते हैं। न्यायालय ने पूछा कि आपके द्वारा वारंट, गिरफ्तारी आदि की समीक्षा की जाती है इसमें आदेश का पालन नहीं होने पर क्या कार्रवाई की जाती है। इस पर वे समीक्षा रिपोर्ट भी अगली सुनवाई पर बताएं कि इस मामले में क्या किया गया।
पुलिस के गवाहों की गवाही नहीं होने पर किया तलब दहेज प्रताडऩा के मामले में जेल में बंद आरोपी संजय सविता द्वारा एडवोकेट जेपी कुशवाह के माध्यम से जमानत के लिए प्रस्तुत याचिका पर यह सुनवाई चल रही है। पुलिस मुख्यालय के लगातार निर्देश के बाद भी पुलिस अपने ही अधिकारियों व कर्मचारियों के समंस और वारंट तामील नहीं करा पा रही है इस कारण प्रकरण लंबित हो रहे हैं। न्यायालय ने इसे गंभीरता से लिया है।