न्यायालय ने मार्च के प्रथम सप्ताह में प्रकरण को सुनवाई के लिए लगाया है। न्यायालय ने केन्द्र सरकार से पूछा कि जो संंेपल जांच के लिए भेजे थे उसकी रिपोर्ट नहीं आने पर आपने क्या किया? केन्द्र सरकार के ज्वाइंट ड्रग कंट्रोलर द्वारा छह कंपनियों के पन्द्रह सेंपल जांच के लिए भेजे हैं। यह सेंपल ३० सितंबर १९ को लिए गए थे। याचिकाकर्ता विभोर कुमार साहू का कहना है कि विश्व में जिस दवा पर लगातार प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं उसका हमारे देश में निरंतर उपयोग जारी है। याचिकाकर्ता का कहना था कि एक साल में भारत में यह दवा ६५० करोड़ रुपए के लगभग बिकती है। दवा का बड़ा कारोबार होने के कारण अधिकारी इससे हो रहे दुष्प्रभावों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। यही कारण है कि केन्द्र सरकार इतने गंभीर मामले में अपना जवाब पेश नहीं कर सकी है। याचिकाकर्ता का कहना था देश में यह दवा १५० कंपनियां बेच रही है जबकि सेंपल केवल छह कंपनियों के लिए गए हैं। न्यायालय ने केन्द्र सरकार से कहा कि आपके ड्रग कंट्रोलर ने अपने पत्र में लिखा है कि यह यह ड्रग खतरनाक है फिर भी आपकी कार्रवाई की यह गति है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता से दवा के प्रतिबंध को लेकर पूछा तो याचिकाकर्ता ने बताया कि अमेरिका में इस दवा में कैंसरकारक तत्व पाए जाने के बाद दवा कंपनियों ने ही इस दवा को वापस मंगा लिया। यूरोप के कई देशों में इस दवा पर रोक लग चुकी है। इसके अलावा भारत के पडौसी देश बंगलादेश भी इस मामले में ज्यादा गंभीर है और उसने इस पर रोक लगा दी है। यह याचिका इस दवा में कैंसर कारक तत्व पाए जाने के कारण इस पर रोक लगाए जाने की मांग को लेकर प्रस्तुत की है।