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आरोपी ने जताई रक्तदान की इच्छा हाईकोर्ट ने कहा कर सकते हैं, लेकिन दो माह तक अस्पताल में सफाई की शर्त पर दी जमानत

locationग्वालियरPublished: Feb 22, 2020 11:24:59 pm

छह माह तक करना होगी अस्पताल में सेवा, सीएमएचओ को देना होगी रिपोर्ट

आरोपी ने जताई रक्तदान की इच्छा हाईकोर्ट ने कहा कर सकते हैं, लेकिन दो माह तक अस्पताल में सफाई की शर्त पर दी जमानत

आरोपी ने जताई रक्तदान की इच्छा हाईकोर्ट ने कहा कर सकते हैं, लेकिन दो माह तक अस्पताल में सफाई की शर्त पर दी जमानत

ग्वालियर। उच्च न्यायालय ने घुस में घुसकर चोरी करने के अपराध में ११ जून१९ से जेल में बंद आरोपी पंजाब सिंह द्वारा जमानत के आवेदन के साथ ही रक्तदान की इच्छा जताए जाने पर उसे उसकी इच्छा पर रक्तदान करने की अनुमति तो दे दी लेकिन दो माह तक अस्पताल में स्वच्छता का कार्य करने की शर्त पर ही जमानत पर रिहा किए जाने के आदेश दिए हैं।
न्यायमूर्ति आनंद पाठक ने यह आदेश पंजाब सिंह के तीसरे जमानत आवेदन को स्वीकार करते हुए दिए हैं। आरोपी की ओर से प्रस्तुत जमानत आवेदन में कहा गया कि उसे सह आरोपियों के बयान के आधार पर इस मामले में आरोपी बनाया गया है। उसके खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराया गया है। आरोपी जेल में हिरासत की पर्याप्त अवधि बिता चुका है। उसकी न तो शिनाख्त भी नहीं की गई है। आरोपी की ओर से रक्तदान की इच्छा जताने तथा सेवाकार्य करने की इच्छा भी जताई गई।
इस प्रकार की प्रेरणा से रक्तदान अभियान को मिलेगी गति

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि आवेदक रक्तदान करना चाहता है तो वह जेएएच के ब्लड बैंक में रक्तदान महादान समिति के माध्यम से रक्तदान करने के लिए स्वतंत्र है। आरोपी छूटने के एक माह बाद रक्तदान कर सकता है। न्यायालय ने निर्देश दिए कि रक्तदान से पहले यह देखा जाए कि आरोपी रक्तदान करने में सक्षम है या नहीं । न्यायालय ने आरोपी द्वारा रक्तदान करने की इच्छा की सराहना करते हुए कहा कि देश में प्रतिदिन होने वाली सडक़ दुर्घटनाओं घायल होने वाले लोगों को बड़े पैमाने पर रक्त आवश्यकता होती है। इस प्रकार यदि रक्तदान किया जाता है तो इससे रक्तदान अभियान को गति मिलेगी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि रक्तदान का काम आरोपी का स्वेच्छिक कार्य है।
मुरार अस्पताल में करना होगा सेवा कार्य

न्यायालय ने आरोपी को इस शर्त पर जमानत दी कि वह मुरार के जिला अस्पताल में बाह्य विभाग में एक सप्ताह में दो दिन हर शनिवार और रविवार को सुबह नौ बजे से दोपहर एक बजे के बीच शांतिपूर्ण तरीके से अस्पताल में रोगियों की सेवा करेगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरोपी को सेवा कार्य की अनुमति देंगे। आरोपी को वार्ड में जाने की अनुमति नहीं होगी। आरोपी का उपयोग अस्पताल में स्वच्छता बनाए रखने में तथा मरीजों की सेवा में किया जा सकेगा। आरोपी को यह सेवा कार्य छह माह तक करना होगा। यदि आवेदन शर्त के अनुरूप कार्य नहीं करता है तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी इसकी रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करेंगे।
समाज में सेवा की प्रवृत्ति पुनर्जीवित होना जरुरी

न्यायमूर्ति आनंद पाठक ने अपने आदेश में कहा कि न्यायालय ने यह निर्देश एक परीक्षण प्रकरण के तौर पर दिए है। जिससे कि हिंसा और बुराई के विचार का प्रतिकार सृजन एवं प्रकृति के साथ एकाकार होने के माध्यम से सामंजस्य स्थापित किया जा सके। वर्तमान में मानव अस्तित्व के आवश्यक अंग के रुप में दया, सेवा, प्रेम एवं करुणा की प्रकृति को विकसित करने की आवश्यकता है। क्योंकि यह मानव जीवन की मूलभूत प्रवृत्तियां है और मानव अस्तित्व को बनाए रखने के लिए उनका पुनर्जीवित होना आवश्यक है।
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