script20 साल पुराने कम्प्यूटर घोटाले में हाईकोर्ट का बड़ा आदेश | high court order in 20-year-old computer scam | Patrika News

20 साल पुराने कम्प्यूटर घोटाले में हाईकोर्ट का बड़ा आदेश

locationग्वालियरPublished: Oct 15, 2019 06:37:18 pm

Submitted by:

Rahul rai

उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत कर कहा गया था कि इस घोटाले में भिंड के तत्कालीन सांसद एवं वरिष्ठ अधिकारी शामिल होने से इस मामले में ईओडब्ल्यू द्वारा जांच नहीं की जा रही है

20 साल पुराने कम्प्यूटर घोटाले में हाईकोर्ट का बड़ा आदेश

20 साल पुराने कम्प्यूटर घोटाले में हाईकोर्ट का बड़ा आदेश

ग्वालियर। 20 साल पुराने कम्प्यूटर घोटाले में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश का पालन नहीं होने पर प्रस्तुत अवमानना याचिका पर उच्च न्यायालय ने डीजी आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) तथा एसपी ईओडब्ल्यू को नोटिस जारी किए हैं।
उच्च न्यायालय में अशोक सिंह भदौरिया द्वारा एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर के माध्यम से प्रस्तुत अवमानना याचिका पर यह आदेश दिए हैं। याचिका में कहा गया कि उच्च न्यायालय द्वारा 29 अप्रेल 19 को ईओडब्ल्यू को निर्देश दिए थे कि 20 साल पहले भिंड जिले में हुए कम्प्यूटर घोटाले की जांच शीघ्र पूरी की जाए।
उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत कर कहा गया था कि इस घोटाले में भिंड के तत्कालीन सांसद एवं वरिष्ठ अधिकारी शामिल होने से इस मामले में ईओडब्ल्यू द्वारा जांच नहीं की जा रही है, इसलिए इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी जाए।
कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद शीघ्र जांच के आदेश दिए थे। इस आदेश के बाद भी ईओडब्ल्यू ने इस मामले की जांच नहीं की तब यह अवमानना याचिका प्रस्तुत की गई है। इस मामले में ईओडब्ल्यू द्वारा पूर्व सांसद डॉ. रामलखन सिंह, तत्कालीन कलेक्टर मुक्तेश वाष्र्णेय सहित अन्य पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था।
स्कूलों में नहीं थी बिजली और खरीद लिए कम्प्यूटर
इस मामले के घोटालेबाजों ने यह भी नहीं देखा कि उनके द्वारा जिन स्कूलों के लिए कम्प्यूटर खरीदे जा रहे हैं। क्या वहां बिजली कनेक्शन भी है या नहीं। हालांकि कम्प्यूटर के नाम पर खाली डिब्बे आए थे। इस मामले में नेता और अधिकारियों के नाम आने के कारण ईओडब्ल्यू ने भी मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। कम्प्यूटर साक्षरता कार्यक्रम के लिए वर्ष 1999-2000 में भिंड के 23 स्कूलों का चयन किया गया था। इसके लिए 115 कम्प्यूटर भेजे गए थे। कम्प्यूटरों की खरीद के लिए डॉ. रामलखन सिंह की सांसद निधि से एक करोड़ सात लाख रुपए की राशि दी गई थी। इन स्कूलों में कम्प्यूटर ऑपरेटर भी नहीं थे न ही इसके लिए कोई नियुक्तियां की गईं थीं। खास बात यह है कि इस मामले में एक जनहित याचिका में उच्च न्यायालय ने जांच के निर्देश दिए थे। इस पर 13 जुलाई 18 को धारा 420 एवं 120 बी के तहत आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

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