न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की युगलपीठ ने राज्य शासन द्वारा सजा की पुष्टि के लिए प्रस्तुत प्रकरण तथा आरोपी द्वारा फांसी की सजा के खिलाफ प्रस्तुत अपील पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया है। इस मामले में आरोपी की ओर से एडवोकेट शैलेंद्र सिंह कुशवाह ने पैरवी की। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सीआरपीसी की धारा 273 में यह प्रावधान है कि गवाहों के बयान मुल्जिम की उपस्थिति में होना चाहिए। कोर्ट ने यह पाया कि इस मामले में पांच लोगों की गवाही मुल्जिम की उपस्थिति के बिना हुई है। हाईकोर्ट ने मामले को विशेष न्यायालय में रिमांड करते हुए कहा कि इस मामले में ट्रायल कोर्ट पांच गवाहों का आरोपी की उपस्थिति में परीक्षण करे। इसके बाद सीआरपीसी की धारा 323 के तहत आरोपी का फिर से परीक्षण एवं प्रतिपरीक्षण करे व अंतिम तर्क सुनने के बाद न्यायालय अपना फैसला सुनाए। हाईकोर्ट के इस आदेश से अगले आदेश तक आरोपी को सुनाई गई फांसी की सजा संबंधी आदेश का प्रभाव शून्य हो गया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ट्रायल कोर्ट आदेश प्राप्ति दिनांक से तीन माह के अंदर अपनी कार्रवाई पूर्ण कर फैसला सुनाए। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को रेकॉर्ड भेजे जाने के निर्देश भी दिए।
गवाहों ने पहचान की थी आरोपी की आरोपी ने 28 अप्रैल 2017 को दस साल के बालक के साथ अप्राकृतिक कृत्य कर उसकी हत्या कर दी थी। आरोपी ने बच्चे के शव को झाडिय़ों के बीच गड्ढे में फेंक दिया था। कोर्ट ने योगेश को यह सजा बच्चे के साथ किए गए दुष्कृत्य की डीएनए टेस्ट से हुई पुष्टि तथा अन्य गवाहों द्वारा की गई पुष्टि के बाद सुनाई। योगेश ने इस बालक की हत्या तब कर दी थी, जब वह परिवार में एक शादी में गया था। इस शादी में अन्य बच्चे भी गए थे, जब वह नहीं लौटा तो उसकी तलाश की गई थी। 29 अप्रैल को गांव के एक व्यक्ति को गड्ढे में इस बच्चे का शव मिला था। जांच में पता चला कि योगेश इस बालक को बहला फुसलाकर ले गांव के क्रेशर के पास बने खंडहर कमरे में ले गया, जहां उसने दुष्कृत्य कर बालक की पत्थर मारकर एवं गला दबाकर हत्या कर दी थी। बालक के शरीर पर 12 गंभीर चोटें मिली थीं। आरोपी की भाभी ने योगेश को खून से सने कपड़े धोते हुए देखा था। इसकी पुष्टि उसने कोर्ट में उस शर्ट को देखकर की थी। आरोपी ने जो शर्ट घटना के वक्त पहनी थी उसे देखकर उसकी भाभी ने उसकी पहचान की थी।