ईओडब्ल्यू के अधिवक्ता सुशील कुमार चतुर्वेदी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जो ईंटें बरामद हुई थीं, उन पर संयुक्त अरब अमीरात की सील लगी है। जो बिल प्रस्तुत किए गए हैं उनकी जांच कराने पर पता चला कि जिस दुकान के बिल हैं, वहां संयुक्त अरब अमीरात का सोना नहीं मिलता है।
अधिवक्ता चतुर्वेदी का कहना था कि ब्यूरो द्वारा बरजोर सिंह के यहां से जब्त की गई संपत्ति को राजसात करने की कार्रवाई की जा रही है। याचिकाकर्ता द्वारा पूर्व में इस प्रकार के आवेदन के खारिज होने के तथ्य भी न्यायालय से छुपाए गए हैं। याचिकाकर्ता द्वारा यह भी कहा गया कि उनकी संपत्ति कहां है, इसकी उन्हें जानकारी दी जाए, इसका भी विरोध किया गया, उन्हें यह जानने का हक नहीं है।
इस घोटाले में बरजोर सिंह के अलावा मुख्य अभियंता एचडी जोशी, प्रभारी कार्यपालन यंत्री राजेश कुमार श्रीवास्तव, कार्यपालन यंत्री एके दीक्षित, एमएस भदौरिया अनुविभागीय अधिकारी, पीएस बाथम अनुविभागीय अधिकारी, उदय लाले अनुविभागीय अधिकारी, पीएस शर्मा प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी, एके कोडेय, एमएल साहू, डीएस मुंडिया, एमके बराहे, केएन चतुर्वेदी, घनश्याम उपाध्याय, जीएन सिंह व अन्य उपयंत्रीगण व कर्मचारी, ठेकेदार आरोपी हैं। सभी के खिलाफ भादवि की धारा 120 बी, 420, 409 एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला चल रहा है।