ग्वालियर

Hindi Diwas 2018 : हिंदी बचाने आगे आए कलम के सिपाही,युवाओं को जोडऩे के लिए भी करें प्रयास

Hindi Diwas 2018 : हिंदी बचाने आगे आए कलम के सिपाही,युवाओं को जोडऩे के लिए भी करें प्रयास

ग्वालियरSep 14, 2018 / 08:10 pm

monu sahu

Hindi Diwas 2018 : हिंदी बचाने आगे आए कलम के सिपाही,युवाओं को जोडऩे के लिए भी करें प्रयास

ग्वालियर। हिंदी को भले ही संविधान में राज्यभाषा का दर्जा प्राप्त हो। सरकार की ओर से हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए तरह-तरह के वादे किए जा रहे हैं। लेकिन असल में हिंदी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। आज का युवा हिंदी से बच रहा है। उसे इंग्लिश सरल और हिंदी कठिन लगती है। अपनी मातृभाषा हिंदी के अस्तित्व को बचाने के लिए हमें युवाओं को जोडऩा होगा। विशेषज्ञों के अनुसार हर भाषा को सरल बनाने के लिए कई तरह के प्रयोग हुए, लेकिन हिंदी के लिए कोई नया प्रयोग नहीं हो पाया। यही कारण है कि आज का युवा हिंदी से दूर भागता है। हालांकि शहर के कुछ साहित्यकार, कवि और शिक्षाविद् ने हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए काम किया है और वह कुछ हद तक सफल भी रहे हैं।
 

अन्य भाषी छात्र-छात्राएं कर रहे तुलनात्मक अध्ययन
महेश कटारे, साहित्यकार ने कहा कि मेरे द्वारा अभी तक कई उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक, यात्रा वृत्तांत और किताबें लिखी जा चुकी हैं। मेरे उपन्यास पर उडि़या और मलयालम भाषी छात्र-छात्राएं तुलनात्मक अध्ययन कर रहे हैं। मैंने अपनी किताबों से युवा पीढ़ी को जोडऩे का प्रयास किया है। यही कारण है मेरे उपन्यास को अन्य भाषी भी पंसद कर रहे हैं। जब युवा जुड़ेंगे तभी हिंदी बढ़ेगी।
 

साहित्य सम्मेलन में हिंदी को बढ़ाने पर करता हूं बात
पवन करण,कवि ने कहा कि आज रोजगार की भाषा हिंदी नहीं रह गई। हिंदी कहीं न कहीं वह पिछड़ रही है। हिंदी के अस्तित्व को बचाने के लिए हमें युवाओं को जोडऩा होगा। देश भर में होने वाले कवि एवं साहित्य सम्मेलन में मैं भाग लेता हूं। हर जगह मैं हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए बात करता हूं। मेरे 7 कविता संग्रह हैं। हम कवि और साहित्यकार ही हिंदी के लिए काम कर सकते हैं।
 

इंग्लिश किताबों का किया हिंदी अनुवाद
जगदीश तोमर, पूर्व निदेशक, प्रेमचन्द्र सृजन पीठ उज्जैन ने बताया कि मैंने कई इंग्लिश पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद किया है। हिंदी विद्वान सम्मान की शुरुआत भी कराई, जिसके माध्यम से देशभर के हिंदी से जुड़े लोगों को सम्मानित किया गया। प्रेमचन्द्र सृजन पीठ में उज्जैन के निदेशक के दौरान देशभर में हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए काम किया।
 

विश्व का पहला हिंदी मंदिर ग्वालियर में बनवाया
विजय चौहान, अध्यक्ष, अभिभाषक संघ ने बताया कि मैंने लगभग 21 साल पहले हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए राष्ट्रपति भवन तक रथ यात्रा निकाली। सन् 1996 में विश्व का पहला हिंदी माता मंदिर ग्वालियर में बनवाया। देशभर में 54 अधिक हिंदी सम्मेलन कराए। साथ ही 2100 हिंदी सेवियों का सम्मान कराया। सन् 1951 से हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है, जो आज भी चल रहा है।
 

सोशल हिंदी
फेसबुक
सबसे बड़े सोशल प्लेटफॉर्म पर हिंदी भाषी यूजर्स संख्या तेजी से बढ़ रही है। गैर हिंदी भाषी भी रोमन टाइप के जरिए अपनी बात हिंदी में कह रहे हैं। देवनागरी इस्तेमाल करने की दर भी ३० प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रही है।
यूट्यूब
हिंदी वीडियो अपलोडिंग में बीते दारे साल में 40 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक प्रतिदिन १२ करोड़ वीडियो यूट्यूब पर देखे जाते हैं।
ट्विटर
हिंदी भाषा में ट्वीट की संख्या फिलहाल १२ से १५ लाख है। लेकिन प्रतिदिन रोमन में होने वाले ट्वीट को इसमें जोड़ा जाए तो यह संख्या में करोड़ो में है।
अन्य साइट्स
विभिन्न साइट्स पर हिंदी कमेंट की संख्या तेजी से बढ़ रही है। रेडिट, इंस्ट्राग्राम, पिन्टरेस्ट आदि साइट्स पर फिलहाल हिंदी यूजर्स ज्यादा नहीं है, लेकिन इनमें इजाफा हो रहा है।
 

हिंदी के लिए कर रही काम
मध्यभारती हिंदी साहित्य सभा
हिंदी अभिभाषक संघ
हिंदी साहित्य सम्मेलन
गीतायन संस्था
मध्यप्रदेश लेखक संघ
साहित्य साधना संसद
राष्ट्रीय कवि संगम
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