“आज के समय में हिंदी में बात करने पर लोग संकोच करते है, दुनिया में इंग्लिश का प्रचार-प्रसार ज्यादा है। देश के युवाओं का ध्यान भी बड़े पैकेज पर है, जहां इंग्लिश में बात की जाती है। वे हिंदी का व्यवहार करने में संकोच करते हैं। मोबाइल के प्रयोग ने हिन्दी को प्रदूषित कर दिया है। आजकल लोग अपनी मातृभाषा को बोलना ही नहीं चाहते है। नई शिक्षा नीति में जो बदलाव किया गया है वह एकदम सही है। इससे हिंदी का चलन काफी बढ़ेगा। हिन्दी के सुधार के लिए हिंदी को हर जगह अनिवार्य किया जाए।”
डॉ. प्रतिभा त्रिवेदी प्राचार्य हाईस्कूल नौमहिला ग्वालियर
“हिंदी की वर्तमान स्थिति संतोषजनक नहीं है, लेकिन हिंदी की अपनी एक प्रकृति है। वे किसी का सहारा नहीं लेती। वह स्वत: विकसित हुई है। उसने अभी तक जितनी भी यात्रा की है, उसमें हमेशा अकेले खड़ी रही है। हिंदी के अंदर की क्षमता आंतरिक है। हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए हिन्दी में टैक्निक शब्दों को स्थान मिले। ऑफिस सहित सभी जगहों पर हिन्दी का अधिक से अधिक उपयोग करें। तभी हम अपनी मातृभाषा को शिखर तक पहुंचाने में कामयाब होंगे।”
डॉ. विबाह शर्मा प्राचार्य शासकीय गजराराजा कन्या उ मा वि ग्वालियर
डॉ. प्रतिभा त्रिवेदी प्राचार्य हाईस्कूल नौमहिला ग्वालियर
“हिंदी की वर्तमान स्थिति संतोषजनक नहीं है, लेकिन हिंदी की अपनी एक प्रकृति है। वे किसी का सहारा नहीं लेती। वह स्वत: विकसित हुई है। उसने अभी तक जितनी भी यात्रा की है, उसमें हमेशा अकेले खड़ी रही है। हिंदी के अंदर की क्षमता आंतरिक है। हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए हिन्दी में टैक्निक शब्दों को स्थान मिले। ऑफिस सहित सभी जगहों पर हिन्दी का अधिक से अधिक उपयोग करें। तभी हम अपनी मातृभाषा को शिखर तक पहुंचाने में कामयाब होंगे।”
डॉ. विबाह शर्मा प्राचार्य शासकीय गजराराजा कन्या उ मा वि ग्वालियर
“हिंदी के बिना कुछ भी संभव नहीं है, वर्तमान स्थिति में हिंदी सशक्त है। बिना हिंदी के किसी भी पटल पर आप खरे नहीं उतर सकते। हिंदी के बिना कुछ भी संभव नहीं है। अधिकांश हिन्दी के पत्रिकाए व सामाचार पत्र चल रहे हैं। आज कम्प्यूटर से लेकर तकनीकी पढ़ाई भी हिंदी में आ चुकी है। हिंदी को और आगे बढ़ाने के लिए छात्र-छात्राओं को हर रोज हिन्दी के शब्दों को अपने चलन की भाषा में अपनाना चाहिए।”
डॉ राजरानी शर्मा रिटायर प्रोफेसर केआरजी कॉलेज
डॉ राजरानी शर्मा रिटायर प्रोफेसर केआरजी कॉलेज
हिंदी के अस्तित्व को बचाने के लिए हमें युवाओं को जोडऩा होगा। हिंदी को हर एक तक पहुंचाने के लिए नए प्रयोग करने होंगे। हिंन्दी को बढ़ावा देने के लिए हमें स्वय में हिंदी को लेकर बदलाव लाना चाहिए।
डॉ ज्योत्सना सिंह राजावत सहायक अध्यापक जेयू
डॉ ज्योत्सना सिंह राजावत सहायक अध्यापक जेयू
इन स्कूलों में पदस्थ है हिंदी के प्राचार्य