यहां की है डिमांड इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टूर एंड ट्रेवल मैनेजमेंट के प्रो. चन्द्रशेखर बरुआ ने बताया कि आज भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास समय नहीं है। होली के समय बच्चों की छुट्टियां भी होती हैं और बिजनेस भी कुछ खास नहीं रहता। इस कारण लोग टूर प्लान कर लेते हैं। इस बार होली पर शहर से लगभग 10 हजार लोग घूमने के लिए निकलेंगे। टूर एंड ट्रेवल एजेंसी के मैनेजर हरिकेश सिंह ने बताया कि 21 मार्च की बुकिंग हमारे यहां मथुरा की सबसे अधिक हैं। सीटें फुल हो चुकी हैं। बनारस और उज्जैन की बुकिंग अभी चल रही हैं। होली पर इन्हीं बनारस के साथ इन्हीं जगहों की डिमांड है।
मथुरा दूरी- लगभग 180 किमी. यात्रा- बस और ट्रेन भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा, वृंदावन, बरसाना में ल_मार होली को कौन नहीं जानता। यहां की होली की धूम देश ही नहीं विदेशों में भी है। यहां होली पांच दिन तक चलती है, जिसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं। माहौल ऐसा होता है कि पहुंचने वाले टूरिस्ट भी अपने आपको रोक नहीं पाते और उसी रंग में रंग जाते हैं। इसके साथ ही यहां श्रीकृष्ण और राधा से जुड़े मंदिरों के दर्शन भी हो पाते हैं।
बनारस दूरी- 650 किमी. यात्रा- बस और ट्रेन यह सबसे प्राचीनतम शहर है। गंगा घाट पर दर्शन के लिए यहां प्रतिदिन हजारों देशी-विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर अपने आप में अलग स्थान रखता है। होली पर यहां खास आयोजन होता है।
उज्जैन दूरी- लगभग 500 किमी. यात्रा- बस और ट्रेन होली पर उज्जैन में विशेष आयोजन होता है। यहां 12 ज्योतिर्लिंग में से एक महाकाल मंदिर है। हालांकि होली पर यहां दर्शन करने वालों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। लेकिन आनंद भी इसी समय यहां आता है।
ओरछा दूरी- लगभग 120 किमी. यात्रा- बस और ट्रेन यहां राम राजा सरकार मंदिर है। श्रीराम को राजा की तरह पूजा जाता है। होली पर यहां विशेष आयोजन होता है। बुंदेलखंड से जुड़ा होने के कारण यहां होली पर लोक गीत गाए जाते हैं। यहां स्थित बेतवा नदी के किनारे मेला लगता है। होली पर दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं। बाहर से आने वाले टूरिस्ट्स को स्थानीय लोग खास महत्व देते हैं। मान्यता के अनुसार होली पर राम राजा सरकार के दर्शन शुभ माने गए हैं।